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भक्ति-ज्ञान यज्ञ और योग साधना शिविर 11 से

locationकोलकाताPublished: Feb 28, 2019 01:55:40 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

इसमें कई सन्त, गणमान्य विभूतियां आशीर्वाद देंगी

kolkata

भक्ति-ज्ञान यज्ञ और योग साधना शिविर 11 से

कोलकाता. ब्रह्मवैवर्त महापुराण भक्ति-ज्ञान यज्ञ और योग साधना शिविर 11 से 17 मार्च तक वृंदावन के श्रीजी सदन, फोगला आश्रम में होगा। योगाचार्य राजेश व्यास के अनुसार मलूकपीठाधीश्वर राजेन्द्र दास महाराज के सान्निध्य में होने वाले इस कार्यक्रम में गोपेश महाराज कथा वाचन करेंगे। इस आयोजन में योग साधना शिविर का भी आयोजन होगा। योगाभ्यास का प्रत्यक्ष अनुभव कराने कोलकाता से योगाचार्य राजेश व्यास आएंगे। इस कार्यक्रम में कई सन्त, गणमान्य विभूतियां आशीर्वाद देंगी जिनमें शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज, स्वामी गुरुशरणानंद महाराज, प्रेमाचार्य, स्वामी ज्ञानानंद, मोरारी बापू, रमेश भाई ओझा, साध्वी ऋतम्भरा आदि भाग लेंगे। समाजसेवी महेश खंडेलवाल, मोहनलाल शर्मा, सुरेन्द्र गोस्वामी आदि सक्रिय हैं। राजेंद्रदास महाराज ‘मलूक पीठ’ प्रकृति की वास्तविक सुंदरता का वर्णन करते हैं । उनके वचन भगवान के प्रति आपकी सच्ची भावनाओं को समझायेंगे। एक भक्त की भक्ति उसके जीवन की यात्रा का मुख्य बिंदु है। प्रखर वक्ता राजेंद्रदास की मुख्य बात ये है कि वो सरल और सुँदर भाषा से राम कथा का व्याख्यान करते है। भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण ने उन्हें ज्ञानी और दिव्य व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया है। वे संस्कृत भाषा और श्रीमद्भगवत पुराण की भाषा में विशेष ज्ञान रखते हैं।
जब कोई उनके कथन और भजन सुनता है, तो वो राम कथा के लिए प्यार करता है और अपने आसपास और भीतर आनंद महसूस करता है। ऐसा कोई मनुष्य नहीं जिसने उन्हें सुना और मंत्रमुग्ध नहीं हुआ। सभी भक्त उनके वर्णन की प्रशंसा करते हैं। जो व्यक्ति उनको सुनता है, वह जीवन के सभी कष्टो और निराशा से विमुक्त हो जाता है। जैसा कि सभी सुनने वाले बताते है कि वातावरण में निर्मित जादू को महसूस किया जा सकता है; ज्ञान, भक्ति, दिव्यता चारों ओर फैल जाती है और सबको परमात्मा आनंद की खुशी महसूस होती है जो कि अनन्त सत्य है। हर बार जब आप उनके कथन को सुनने का विशेषाधिकार प्राप्त करेंगे, तो हर बार वह एक नया और ताज़ा आयाम देता है, स्वामीजी की अनुमानित आयु 49 वर्ष है, इनका जन्म चित्रकूट के निकट एक छोटे से गांव में हुआ था।गोसेवा- मलूक पीठ गोशाला
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