डिजायन को आर्ट में बदलकर कमाए थे हजारो
साथी संस्था के संथापक सदस्य भूपेश तिवारी ने बताया कि, जब कोरोना को वैश्विक महामारी घोषित कर वैज्ञानिकां ने कोरोना को आकृति प्रदर्शित किया तब मुझे हमारे संस्थान में रखे टेराकोटा आर्ट मिट्टी से बनाए गए लैम्प की याद आई जिसका स्ट्रक्चर बिल्कुल कोरोना के स्स्ट्रक्चर जैसा ही है। जिसकी मांग यूरोपीय देशों में काफी रही और इससे हमारे स्थानीय कलाकारों को विदेशों में काफी ख्याति मिलने के साथ ही संस्था को इससे अच्छी आमदानी भी हुई थी। तभी मैने उस दौरान इसकी डिजायनिंग करने वाले पैरी को फोन लगाकर उनके इस डिजायन की याद दिलाई। तब उन्होंने मुझे कहा कि, डिजायनर हमेंशा दूर भविष्य की सोचता हैं, लेकिन उनकी उकेरी गई आकृति कोरोना से मेल खाएगी ऐसा उन्होंने भी सोचा ना था पर इस संयोग से वे भी आश्चर्य चकित थे।
क्या कहते है डिजायनर
युवा डिजायनर पैरी से फोन में हुई चर्चा में उन्होने कहा कि, मै प्रकृति से प्रेरित होकर 15 साल पहले यह डिजाईन तैयार किया था। लेकिन मुझे तब यह नही मालूम था कि मैने जो डिजायन किया है वह कोरोना वायरस के स्ट्रक्चर जैसा होगा जो कि देश और दुनिया मे कोहराम मचा देगा।