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टोनही बताकर माँ- बेटी की हुई थी निर्मम हत्या, 6 साल बाद 37 को आजीवन कारावास की सजा

locationकोंडागांवPublished: Oct 17, 2020 04:17:01 pm

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CG Desk

– छ: साल पहले कोंडागांव जिले के एक गांव में हुए इस घटना का फैसला देते हुए न्यायालय ने अलग-अलग धाराओं पर भी सजा एवं अर्थदण्ड दिया है।

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Serious allegations against Minister Kanware brothers,

कोण्डागांव. जब लोगों का विश्वास शासन प्रशासन से उठा जाता है तो अंतिम में न्यायलय से गुहार लगाता है। ऐसे ही एक मामले में छत्तीसगढ़ के कोण्डागांव जिला न्यायालय (Court) ने एक केस पर सुनवाई करते हुए 37 लोगों को आजीवन कारावास ( life imprisonment) की सजा सुनाई है। छ: साल बाद आए इस फैसले में न्यायालय ने अलग-अलग धाराओं पर भी सजा एवं अर्थदण्ड दिया है। प्रकरण को लेकर लोक अभियोजक अशोक चौहान ने बताया है कि घटना ग्राम माहका में घड़वाराम करंगा के परिवार में उसकी पत्नी दशरीबाई व पुत्री रामवती को गांव के लोग जादू-टोना, तंत्र-मंत्र करने की बात हमेशा गांव में बैठक बुलाकर करते थे, लेकिन उसके परिवार द्वारा मना किया जाता था। 20 नवंबर 2014 की सुबह करीब 8 बजे ग्राम माहका में घोटुल में गांव वालों द्वारा बैठक बुलाई गई, जिसमें गांव के घड़वाराम के परिवार को भी बुलाया गया।
बैठक में घड़वाराम, उसकी पत्नी दशरी बाई, बेटी रामवती व उसका पति मानकू उर्फ मानू उईके, बेटा रानू करंगा, श्रीमती बजारो, जुगरी पत्नी रानू करंगा उपस्थित हुए। गांव के गाण्डोराम, दशरू ‘कचलाम, पुनउ, मगड़ू, सिगलु कुमेटी, घसिया सलाम, संतू करंगा, सोनू करंगा, दस्सू करंगा, मंगल करंगा निवासी ग्राम माहका आमासर पंचायत में उपस्थित थे। इन लोगों के द्वारा घड़वा करंगा परिवार से कहा गया कि तुम लोग गांव में जादू-टोना कर रहे हो, जिससे गांव वाले परेशान है।
जिसके बाद गाली गलौच करते हुए आसपास पड़े हुए बांस व लकड़ी के डंडे, हाथ मुक्का से घड़वाराम, उसकी पत्नी दशरीबाई और पुत्री रामवती को मारने पीटने लगे। जिसके बाद घड़वा करंगा के बांए कान में चोट लगकर खून बहने लगा, जिसे अधमरा छोड़कर दशरी बाई और रामवती बाई की भी हाथ, लात, मुक्के से मारपीट करते हुए उन्हें जबरन जंगल में डोंगरी की ओर उक्त लोग ले गए। ज्यादा मारपीट करने से जंगल की ओर ले जाते समय दशरी बाई और रामवत्ती की मौत हो गई।
जिसके बाद अन्य आरोपियों ने लकड़ी जंगल से उठाकर लाए और दशरी बाई और रामवती की लाश को लकड़ी में रखकर जला दिया। घड़वाराम को आरोपियों ने अधमरा छोड़ दिया था, जिसे उसके परिजन मौके से वापस लाए और उसे 23 नवंबर 204 को इलाक के लिए नारायणपुर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सूचना के आधार पर नारायणपुर थाने में आरोपीगण के विरुद्ध धारा 47, 48, 49, 302 भा.दं.सं. एवं 4, 5, 6 टोनही प्रताडना अधिनियम के तहत प्रथम सूचना रिपोट दर्ज की गई । विवेचना उपरांत धारा 47, 48, 49, 302 भा.दं.सं. एवं 4, 5, 6 टोनही प्रताडना अधिनियम के अपराध में अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया ।
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