आपको बता दें कि केशकाल घाटी(Keshkal valley) में बनने वाली छत्तीसगढ़ की यह ऐसी पहली सड़क होगी, जिसमें इतनी लंबी टनल बनेगी। इसके लिए नेशनल हाईवे और ठेका कंपनी गहन सर्वे करवा रही है। यह इसलिए ताकि टनल(Tunnel) बनाने से बाद में कहीं पहाड़ न धंसे। बताया जा रहा है कि यह पहाड़ करीब 30 लाख साल पुराना है। साथ ही यह बहुत ही ज्यादा सख्त और ठोस ग्रेनाइट की चट्टानों वाला है।
चूंकि पहाड़ पर लोग नहीं बसे हैं इस वजह से उत्तराखंड के जोशीमठ जैसी घटना होने की आशंका नहीं है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि टनल(Tunnel) बनता है तो इससे जमीन खिसकेगी, जलस्तर प्रभावित होगा। इस वजह से टनल(Tunnel) के ऊपर के पेड़ सूख सकते हैं।
यह भी पढ़ें:
National Tourism Day 2023: काफी रोमांचक हैं छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल, इन जगहों को जरूर करें एक्सप्लोर आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में बनने वाले रायपुर-विशाखापट्नम रोड की लंबाई 124 किमी होगी। यह ओडिशा से होते हुए आंध्रप्रदेश तक पहुंचेगी। फिलहाल, इसके लिए छत्तीसगढ़ में 3 हिस्सों में काम हो रहा है। यह अभनपुर से सारगी, सारगी से बासरवाही और बासरवाही से मारंगपुरी (ओडिशा बॉर्डर)। टनल बासरवाही और गोविंदपुर(Govindpur) के बीच बनेगी।
एनबीडब्लूएल से लेनी होगी अनुमति
10 किमी की सड़क उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के बफर जोन से गुजरेगी। लेकिन टाइगर रिजर्व में किसी भी निर्माण से पहले राज्य सरकार और नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ (एनबीडब्लूएल) से परमिशन लेना आवश्यक होता है। दिसंबर 2022 में राज्य सरकार ने एनएचएआई को सड़क निर्माण की एनओसी जारी की है। इधर 28 फरवरी को दिल्ली में एनबीडब्ल्यूएल की बैठक होने वाली है इसमें इस प्रस्ताव को रखा जाएगा। एनबीडब्ल्यूएल इसमें फैसला करेगी।
ये होंगें फायदे
अगर विशाखापट्टनम रोड पर टनल(Tunnel) बन जाता है तो इससे कई फायदे हो सकते हैं। सबसे पहले तो ये कि केशकाल घाटी में 12 खतरनाक मोड़ हैं। इन खतरनाक मोड़ पर हादसे होते हैं, जो टनल बनने के बाद कम होंगे। दूसरा फायदा यह होगा कि टनल (Tunnel)बनने से ट्रांसपोर्टेशन आसान होगा, क्योंकि बड़ी गाड़ियों को घाटी में नहीं चढ़ना होगा। तीसरा फायदा ये होगा कि रायपुर से महज 7 घंटे में विशाखापट्टनम पहुंचेंगे।
नुक्सान की भी आशंका
लेकिन टनल(Tunnel) को लेकर यह आशंका जताई जा रही है कि पहाड़ पर ऊपर लगे पेड़-पौधे पानी न मिलने से सूख सकते हैं और है कि इससे चट्टानों की पकड़ कमजोर हो। इस मामले में एनएचएआई अफसरों का कहना है कि पेड़ पहाड़ पर हैं, टनल 45 मीटर नीचे बनने वाली है।