नियमित तौर से आती हैं ऋषि विद्यालय
मूलत: गुजरात की रहने वाली कुसुम बेन पटेल गायत्री शक्तिपीठ से जुड़ी हैं। इसकी एक शाखा कोंडागांव के पास लंजोड़ा में है। यहां आदिवासी बच्चों को शिक्षा देने वाली संस्था ऋषि विद्यालय है। इसी ऋषि विद्यालय से उनका जुड़ाव रहा है। फिलहाल वे अभी जशपुर गई हुई हैं। यहां भी वे आदिवासी बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा देने की इच्छा जाहिर कर चुकी हैं।
मूलत: गुजरात की रहने वाली कुसुम बेन पटेल गायत्री शक्तिपीठ से जुड़ी हैं। इसकी एक शाखा कोंडागांव के पास लंजोड़ा में है। यहां आदिवासी बच्चों को शिक्षा देने वाली संस्था ऋषि विद्यालय है। इसी ऋषि विद्यालय से उनका जुड़ाव रहा है। फिलहाल वे अभी जशपुर गई हुई हैं। यहां भी वे आदिवासी बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा देने की इच्छा जाहिर कर चुकी हैं।
विकास में नक्सली नहीं बन पाएंगे समस्या
कुसुम बेन ने बताया कि वे इन गांव के ग्रामीणों को शिक्षित व जागरूक करने के लिए कदम बढ़ाना चाह रही हैं। जिससे कि, हर ग्रामीण को मूलभूत सुविधाएं मिल सके। वो कहती हैं कि, मुझे पता है कि, इलाके के कुछ गांवों में नक्सली भी हैं। वे मेरे लिए कोई बाधक नहीं हैं, हमारी उनसे कोई लड़ाई नहीं है, हो सकता है कि हमारी बात सुनकर वे भी अपने गांव के विकास के लिए आगे आए क्योंकि आने वाले भविष्य की चिंता हर किसी को होती है।
ट्राइबल व ईको टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा
डॉ. कुसुम की मानें तो उनके द्वारा गोद लेने की इच्छा जाहिर करने वाले गांवों में वह शासकीय विकास कार्यों के साथ ही साथ ट्राइबल टूरिज्म, ईको टूरिज्म, फॉरेस्ट टूरिज्म, रूरल टूरिज्म का समावेश करना चाहते है। जिससे गांव के साथ-साथ ग्रामीणों का भी विकास हो सके।
कुसुम बेन ने बताया कि वे इन गांव के ग्रामीणों को शिक्षित व जागरूक करने के लिए कदम बढ़ाना चाह रही हैं। जिससे कि, हर ग्रामीण को मूलभूत सुविधाएं मिल सके। वो कहती हैं कि, मुझे पता है कि, इलाके के कुछ गांवों में नक्सली भी हैं। वे मेरे लिए कोई बाधक नहीं हैं, हमारी उनसे कोई लड़ाई नहीं है, हो सकता है कि हमारी बात सुनकर वे भी अपने गांव के विकास के लिए आगे आए क्योंकि आने वाले भविष्य की चिंता हर किसी को होती है।
ट्राइबल व ईको टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा
डॉ. कुसुम की मानें तो उनके द्वारा गोद लेने की इच्छा जाहिर करने वाले गांवों में वह शासकीय विकास कार्यों के साथ ही साथ ट्राइबल टूरिज्म, ईको टूरिज्म, फॉरेस्ट टूरिज्म, रूरल टूरिज्म का समावेश करना चाहते है। जिससे गांव के साथ-साथ ग्रामीणों का भी विकास हो सके।
इन गांवों को लेना चाहती है गोद
कोण्डागांव जिले के ग्राम बेचा, किलत, कड़ेनार, नेण्डताल, तिरिनबेड़ा, डोडेम, मढोडा, चिकपाल, कोटमेंटा, बेडमा, तुअरीपाल, ककडीपदर, आलवाड, बस्तर जिले में कढियामेटा, सालेपाल, बटबेला, बोदोली, गोठिया, कठयनार, एरपुण्ड, अमलिपदर, पिंदी कोढिर, हर्राकोहेर, इठमेटा, पाउल, टेडम, बीजापुर जिले में गुफा, कोहका, तोढ़मा, बोंडस, लकिती, मटैसी, तुसताल, गुमटैर, इरपानार, पदबेड़ा, अंदेरबेड़ा, नारायणपुर जिले में मढ़ोनार, हीडक़ार, ब्रेम्हबेडा, हितुलवाड़, तुरूषवाड, शेतान, दर्राटी, कानानार, तोयामेटा, हांदावाड़ा, गोबेली, मोरोड़, रोताड़,ताडक़ाट, पट्टेवल, टेडाबेडा, मुगनार, तुलतुली, पोथवाड़, इंगा, जयगुडा, इकानार, फुलमेटा, कचोढा शामिल हैं।
कोण्डागांव जिले के ग्राम बेचा, किलत, कड़ेनार, नेण्डताल, तिरिनबेड़ा, डोडेम, मढोडा, चिकपाल, कोटमेंटा, बेडमा, तुअरीपाल, ककडीपदर, आलवाड, बस्तर जिले में कढियामेटा, सालेपाल, बटबेला, बोदोली, गोठिया, कठयनार, एरपुण्ड, अमलिपदर, पिंदी कोढिर, हर्राकोहेर, इठमेटा, पाउल, टेडम, बीजापुर जिले में गुफा, कोहका, तोढ़मा, बोंडस, लकिती, मटैसी, तुसताल, गुमटैर, इरपानार, पदबेड़ा, अंदेरबेड़ा, नारायणपुर जिले में मढ़ोनार, हीडक़ार, ब्रेम्हबेडा, हितुलवाड़, तुरूषवाड, शेतान, दर्राटी, कानानार, तोयामेटा, हांदावाड़ा, गोबेली, मोरोड़, रोताड़,ताडक़ाट, पट्टेवल, टेडाबेडा, मुगनार, तुलतुली, पोथवाड़, इंगा, जयगुडा, इकानार, फुलमेटा, कचोढा शामिल हैं।