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कुलदेवी व प्रकृति की पूजा कर कल मनाया जाएगा ये पर्व, जानिए क्या खास होता है इस पर्व में

locationकोंडागांवPublished: Sep 18, 2018 03:54:29 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

भाद्रपद उजियारी पक्ष नवमीं तिथि को समस्त मुलनिवासी समुदाय द्वारा महापर्व मनाया जाता है।

जानिए क्या खास होता है इस पर्व में

यहां कुलदेवी व प्रकृति की पूजा कर कल मनाया जाएगा ये पर्व, जानिए क्या खास होता है इस पर्व में

बोरगांव/फरसगांव. भाद्रपद उजियारी पक्ष नवमीं तिथि को समस्त मुलनिवासी समुदाय द्वारा नयाखानी महापर्व मनाया जाता है । इस वर्ष यह तिथि 18 सितम्बर दिन मंगलवार को है । अत: मंगलवार को नयाखानी महापर्व एवं बुधवार को गायता जोहरनी या ठाकुर जोहरनी या बासी तिहार मनाया जायेगा । नयाखानी महापर्व के दिन समस्त मुलनिवासी समुदाय द्वारा वर्ष का पहला नया फ सल से बने चिवड़ा को प्रकृति शक्ति बुढालपेन को पूर्ण श्रद्धा के साथ अर्पित करने के बाद सपरिवार बैठकर ग्रहण किया जाता है ।

सदस्य नये या स्वच्छ कपड़े धारणकर एक साथ बैठते हैं
सबसे पहले मांई घर या डोकरा खोली या मुदिया लोग में गोबर से लीपकर चौंक पुरकर कांसे के लोटे में आम पत्ता लगाकर मिट्टी से बनी दीया जलाकर, साजा के सात पत्ते में नये धान का चिवड़ा का भोग चढ़ाकर लाली, महुये फू ल का रस, नीबू या नारीयल चढ़ाकर, खपरा या साजा पेड़ के छिलके में अंगार लेकर धूप से गोंगों कर सेवा अरजी विनती किया जाता है तत्पश्चात परिवार के सभी सदस्य नये या स्वच्छ कपड़े धारणकर एक साथ बैठते हैं।

धान के चिवड़े से टीका लगाया जाता है।
घर की बड़ी बहू या नवविवाहित बहू या नयाखानी के लिये लाए गए भावी बहू या भानजी के द्वारा सभी सदस्यों का पांव पखारकर, आरती उतारकर नए धान के चिवड़े से टीका लगाया जाता है फि र कोरिया या कोरई पान के पत्ते में चिवड़ा परोसा जाता है। परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे को जोहार कर नयाखानी महापर्व की बधाई देते हैं।

शाम को लया लयोरों के द्वारा बीच गली में हुल्की नृत्य किया जाता है
शाम को लया लयोरों के द्वारा बीच गली में हुल्की नृत्य किया जाता है । इस प्रकार प्रकृति से उत्पन्न पहले पकनें वाली फ सल को प्रकृति शक्ति एवं पेन पुरखों को अर्पित कर कृतज्ञता प्रकट करने के बाद ही आदिम समुदाय द्वारा भक्षण किया जाता है । दूसरे दिन गांव के मुखिया गायता या पटेल के घर जाकर उसे सेवा जोहार कर उसके प्रति कृतज्ञता प्रकट किया जाता है।

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