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जंगल-पहाड़ी, नदी-नाला पार कर बाइक से गांव पहुंचे मुखिया, फिर ग्रामीणों का जीता विश्वास….

locationकोंडागांवPublished: Jan 22, 2018 08:07:20 pm

विकास की डोर से ग्रामीणों को बांधने बाइकों में सवार होकर पहुंचे जिला के मुखिया, आजादी के बाद इन गांवों में पहली बार पहुंचे कलक्टर।

जंगल-पहाड़ी, नदी-नाला पार कर बाइक से गांव पहुंचे मुखिया, फिर ग्रामीणों का जीता विश्वास....

जंगल-पहाड़ी, नदी-नाला पार कर बाइक से गांव पहुंचे मुखिया, फिर ग्रामीणों का जीता विश्वास….

कोण्डागांव. जिले के अंदरूनी इलाकों मेें विकास की गाथा लिखने के लिए जिला प्रशासन का दल रविवार को उन इलाकों में पहुंचा जहां आजादी के बाद से प्रशासन के जिम्मेदार अफसर नहीं पहुंच पाये थे। कहीं धूल भरी पगडंडी तो कहीं नदी नालो की रूकावट, कहीं पथरीला गिट्टी भरा मार्ग तो कहीं बड़े बड़े गढ्ढे भरे जंगली रास्ते लेकिन कलक्टर नीलकण्ठ टेकाम व उनके अन्य अधिनस्थ अधिकरी इन दूरस्थ ग्रामीणो को विकास की डोर में बांधने के मिशन के कार्य में इन बाधाओ को नापते चलते गये।

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बाइक से किया गांव का दौरा
विकासखण्ड फरसगांव के सीमावर्ती धनोरा, कोनगुड, देवगांव, भोंगापाल, बनचपई, चिंगनार, बड़ेओड़ागांव, गोहड़ापारा, चनियागांव, तुड़की, बाड़ागांव, बोकराबेड़ा, कोन्डापखना, बडग़ई, ईरागांव, हाटचपई, जैसे ग्रामों के ग्रामीणो के बीच ग्रामीणो की समस्याओं का अध्ययन कर उनके निदान, युवाओ में क्षमता विकास, सामुहिक नेतृत्व तथा सामुहिक भागीदारी की भावना से योजना, मार्गदर्शन, कार्यक्रम आयोजन में सक्रिय भागीदारी एंव समन्वय का आहवान किया। इन गांवों की दौरा उन्होने शासकीय वाहन से ना कर मोटरसाईकिल से किया।

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पुलिया व रोड मरम्मत की ग्रामीणों ने लगाई गुहार
सांस्कृतिक एंव सामाजिक पर्यटन यात्रा के नाम से प्रारंभ इस मोटर साईकिल रैली मे कलक्टर ने इन दूरस्थ ग्रामीणो से संम्पर्क करने का अभियान शायद इन ग्रामीणो के लिए भी अनूठा अनुभव रहा उनकी माने तो पहली बार जिले का सर्वौच्च अधिकारी उनके बीच उपस्थित हुआ और इतने आत्मीयता पूर्ण तरीके से उनकी समस्याओ को जानने का प्रयास किया।

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सबसे बड़ी समस्या कनेक्टिविटी
गौरतलब है कि उपरोक्त सभी गांव ऐसे श्रेणी में आते हैं जहां विकास की रोशनी बेहद धीमी गति से पहुंच रही है। इन गांवों की सबसे बड़ी समस्या कनेक्टिविटी बताई गई। जाहिर है कि आवागमन व संचार की साधनों का अभाव नि:संदेह किसी भी क्षेत्र के विकास में एक बड़ी बाधा होती है। जिसे कलक्टर व उनकी टीम ने बखुबी समझते हुए निदान करने का भरोसा भी दिलाया।

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