कोंडागांव

कोंडागांव में ऐतिहासिक मेला शुरू, दिखेगा आस्था और संस्कृति का विभिन्न रंग

आसपास के गांवो से आए ग्रामीणों व उनके देवी-देवताओं के भारी हुजुम में आस्था और संस्कृति के विभिन्न रंग देखने को मिले।

कोंडागांवMar 13, 2019 / 03:34 pm

चंदू निर्मलकर

कोंडागांव में ऐतिहासिक मेला शुरू, दिखेगा आस्था और संस्कृति का विभिन्न रंग

कोण्डागांव. आस्था व परम्परा के अनुठे संगम के साथ जिला मुख्यालय का वार्षिक मेला शुरू हो गया। होली त्यौहार से लगभग 10 दिन पहले आयोजित होने वाले इस मेले में इस वर्ष भी आसपास के गांवो से आए ग्रामीणों व उनके देवी-देवताओं के भारी हुजुम में आस्था और संस्कृति के विभिन्न रंग देखने को मिले।
इस मौके पर उमड़ी भारी भीड़ ने भीगे चावलों व पुष्प-पंखुडिय़ो की वर्षा के साथ देवी-देवताओं की अगुवानी की। यूं तो इलाके में विभिन्न सांस्कृतिक पर्व अपने-अपने निर्धारित समय पर नियमानुसार होते रहते है, लेकिन जिला मुख्यालय में सप्ताहभर चलने वाले पाराम्परिक मेले का आगाज विधानानुसार ही मंगलवार को हुआ।
देव परिक्रमा से पहले परम्परानुसार मेला समिति से जुड़े लोग पारम्परिक गाजे-बाजे के साथ सर्किट हाउस पहुंचे और वहां से राजस्व अधिकारियों को सम्मान के साथ मेला स्थल ले पहुंचे। जहां उन्हें दूर-दराज से मेले में शामिल होने आए देवी-देवताओं से मिलवाया और सभी देवी-देवताओं के साथ अधिकारी व जनप्रतिनिधियों के मेला परिसर की परिक्रमा के साथ ही सात दिनों तक चलने वाले मेले की शुरूआत हुई।
मेले के पहले दिन को स्थानीय लोग देव मेला के नाम से जानते हैं। और इस दिन विशेषकर लोग बड़ी संख्या में यहां पहुंचे और देवी-देवताओं की पूजाकर उनसे आर्शीवाद लेते हैं। सुरक्षा के लिहाज से इस मेले में पुलिस के साथ ही कोटवारों को विशेष तौर पर तैनात किया गया है। जो विभिन्न जगहों पर अपना मोर्चा संभाले हुए हैं। मेले परिसर में जहां नगर पालिका ने अपनी तंबू तान रखा है तो वहीं जिला पुलिस ने भी सुरक्षा के लिहाज से पुलिस सहायता केंद्र स्थापित कर रखा है।
सप्ताहिक बाजार परिसर में मेला व विकासनगर स्टेडियम में मीनाबाजार के लिए जगह आरक्षित किया गया हैं। बस स्टैंड से लेकर बाजार परिसर तक छोटे-बड़े दुकानदारों ने अपनी दुकाने सजा रखी हैं। परम्परानुसार होने वाले लोकनृत्यों की प्रस्तुति बुधवार की शाम एनसीसी मैदान में होगी। इसकी पूरी तैयारी जिला प्रशासन ने कर रखी हैं।

मेला मंनोरंजन ही नहीं बल्कि विधान है
पारम्परिक मेले-मड़ई अपनी विशेषता के कारण एक अलग पहचान रखते हैं। क्योंकि मड़ई यहां मात्र मनोरंजन का आयोजन नहीं है बल्कि इसके माध्यम से क्षेत्र के निवासी अपने आराध्य देवी-देवताओं का पूरे विधि-विधान, पूजा-अर्चना के साथ अपनी धार्मिक सद्भावना प्रदर्शित करते है। इस वर्ष भी कोण्डागांव के वार्षिक मेले में जिले के आस पास के ग्रामों जैसे पलारी, भीरागांव, बनजुगानी, भेलवापदर, फरसगांव, कोपाबेड़ा, डोंगरीपारा के ग्रामीण देवी देवता, माटीपुजारी, गांयता सम्मिलित हुए।

जहां आराध्य मां दन्तेश्वरी के अलावा विभिन्न समुदायों के देवी देवताओं जैसे सियान देव, चौरासी देव, बुढाराव, जरही मावली, गपा-गोसीन, देश मात्रा देवी, सेदंरी माता, दुलारदई, कुरलादई, परदेसीन, रेवागढ़ी, परमेश्वरी, राजाराव, झूलना राव, आंगा, कलार बुढ़ा, हिंगलाजीन माता, बाघा बसीन देवताओ की पूरे धार्मिक विधि-विधान ढ़ोल नगाड़े, माहरी, तोड़ी, मांदर व शंख ध्वनि के साथ मुख्य पूजा स्थल मावली माता मंदिर के सभी पुजारीगण फूंलो से सुसज्जित मंडप तैयार कर एक अन्य पुरातन मंदिर की इष्ट देवी बुढ़ी माता के मंदिर में एकत्रित हुए और माता की पालकी को मुख्य मेला स्थल लाया गया। जहां परम्परानुसार मेले के रिति-रिवाज व विधान एक-एककर होते रहे।

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