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अगर आपके बच्चे भी मोबाइल पर बिता रहे अपना सारा दिन तो हो जाईए सावधान, पढि़ए ये खबर

locationकोंडागांवPublished: Oct 09, 2018 12:15:27 pm

Submitted by:

Badal Dewangan

बच्चों का बचपन छीन रहा स्मार्ट फोन, फ्री मोबाइल व डाटा सिर पर हुआ सवार

बच्चों का बचपन छीन रहा स्मार्ट फोन

अगर आपके बच्चे भी मोबाइल पर बिता रहे अपना सारा दिन तो हो जाईए सावधान, पढि़ए ये खबर

बोरगांव. छग शासन द्वारा पिछले दिनों बड़े ही जोर शोर से संचार क्रांति योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को स्मार्ट फ ोन वितरण किया गया है। शासन का उद्देश्य हर किसी को आधुनिक संचार तकनीक से जोडऩे के रूप में भले ही अच्छा है और महिलाओं को स्मार्टफोन मिलने से कितनी स्मार्ट बन पाएंगी यह तो आने वाला समय बताएगा पर इसका दुष्परिणाम अभी से नजर आ रहा है।

कहते हैं हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की अधिकतर महिलाओं को स्मार्ट फोन चलाना नहीं आता है, ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों मे आजकल हर बच्चे के हाथ में स्मार्ट फोन है और समय बे समय आते जाते आप कभी भी कहीं भी बच्चों को झुंड में स्मार्ट फोन पर टकटकी लगाए देख सकते हैं।

स्मार्ट फोन बच्चों का बचपना छीन रहा है
बच्चों की इस समय जब खेलने कूदने की उम्र है, शरीर को हृष्ट-पुष्ट बनाने का समय है, पढ़ाई का समय है, ऐसे समय ये बच्चे मोबाइल फोन में अपना बहुमूल्य समय बर्बाद कर रहे हैं। स्मार्ट फ ोन बच्चों का बचपना छीन रहा है। दूसरी बात सुबह सुबह जब हम रोज मॉर्निंग वॉक में निकलते हैं तो छात्रावास-स्कूलों के बच्चे जो कल तक कसरत करते और दौड़ लगाते दिखाई देते थे, अब इसके बजाय अलग अलग ग्रुप में स्मार्ट फोन में कुछ देख रहे थे। जैसे ही हमारे कैमरा का फ्लेश चमका सब भाग खड़े हुए । सुबह की हवा लाख टके की दवा कहते हैं किन्तु बच्चे मोबाइल में लगे हुए हैं।

ये शुरुआत है आगे आगे देखिए होता है क्या
जो समय खेलकूद या कसरत कर अपने स्वास्थ्य को संवारने का होता है उसमें अब मोबाइल ने जगह बना लिया है। फिर कैसे निकलेंगे उच्च कोटि के खिलाड़ी और मनीषी। मोबाइल फ ोन के प्रयोग से बच्चों की पढ़ाई पर तो बुरा असर पड़ेगा, साथ ही निश्चित तौर पर स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव होगा। स्कूलों, छात्रावासों एवं आश्रमों में स्मार्टफ ोन का दुरूपयोग न हो इसका ध्यान कौन रखेगा, अभी तो ये शुरुआत है आगे आगे देखिए होता है क्या?

आज स्मार्ट फ ोन ने पूरी दुनिया को मु_ी में किया
इंटरनेट में अच्छा बुरा, सही गलत सब कुछ परोसा हुआ है। ऐसे में परिजनों की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है कि बच्चे फ ोन का इस्तेमाल कैसे करें। ग्रामीण अंचल में तेजी से नैतिक और चारित्रिक पतन हो रहा है। गाँव के अनपढ़ बुजुर्ग इसके लिए दूरदर्शन या टेलीविजन को कसूरवार ठहराते हैं । टेलीविजन सीरियलों एवं फि ल्मों में परोसी जाने वाली फुहड़ता से गाँव की आबोहवा भी अछुती नहीं है। आज रिश्ते नाते को दरकिनार कर केवल और केवल नर-नारी का रिश्ता ही दिखता है । इस बला से छुटकारा नहीं मिल पाया था कि शासन की ये महत्वाकांक्षी संचार क्रांति योजना ने नौनिहालों के भविष्य पर ग्रहण लगाना शुरू कर दिया है। विज्ञान यदि वरदान है तो अभिशाप भी है । नए स्मार्टफ ोन पाकर पालक तो हक्के-बक्के हैं किन्तु आश्रम-छात्रावास में रहनें वाले बच्चों के साथ साथ स्कूली बच्चों के हाथ में भी भस्मासूर रूपी स्मार्टफ ोन मानसिक गुलाम बनाने दस्तक दे चुका है । अब ये तो आने वाला समय बताएगा कि सूचना संचार में कितनी क्रांति आयेगी। वैसे असर दिखना शुरू हो चुका है । हाल ही में एक नवदंपत्ती का विवाह विच्छेद महज इसलिए हुआ कि पत्नी एक ऐसे शख्स से बात करती थी जिसे उसने कभी न देखी न मिली किंतु फ ोन वार्तालाप रिकार्ड हो गया जिसे पति ने प्ले कर सुन लिया और उसके मन में पत्नी के प्रति शक पैदा हो गया और बुजुर्गों के लाख समझाइश के बाद भी साथ रहने को तैयार नहीं हुआ और घरोंदा बसते बसते उजड़ गया।

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