हम बात कर रहे है असम राइफल में राइफलमैन के पद पर सेलेक्ट हुए लक्ष्मीनारायण की जो अब आर्मी में जाने वाले अपने गाँव से पहले युवा हैं। उन्होंने इस परीक्षा में 46 वां रैंक हासिल किया और अगले महीने से असम में अपना प्रशिक्षण शुरू करने वाले है।
ऐसे शुरू हुआ भारतीय सेना में जाने का सफर
लक्ष्मीनारायण के पिता बिसरूराम किसान हैं, लक्ष्मी नारायण जब 9 वीं में थे तब उन्होंने एनसीसी ज्वॉइन किया तभी से उन्हें भारतीय सेना में जाने की इच्छा हुई। वह 2 वषोर्ं तक एनसीसी से जुड़े रहे इस दौरान उन्हें देशप्रेम, राष्ट्र की एकता, धमर्निरपेक्ष, अनुशासन और बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण आदि की शिक्षा मिलती रही। जिससे सेना में जाने की उनकी इच्छा और दृढ़ होती गई, उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान 2017 में उन्होंने एनएसएस ज्वाइन किया और अब तक वह इससे जुड़े हुए हैं। एनएसएस से जुड़ने के बाद से उनमें काफी परिवतर्न आया इस दौरान उनमें बौद्धिक विकास, पसर्नैलिटी डेवलपमेंट, आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता आदि गुणों का विकास हुआ। जो आगे चलकर उनके सेना में जाने के सपने को पूरा करने में मील का पत्थर साबित हुआ।
ऐसे मिली सफलता, मानसिक स्वास्थ्य कायर्क्रम का मिला फायदा-
जनवरी 2021 में युवोदय कोंडानार और यूनिसेफ से जुड़े जहाँ उनका पहला कायर्कम ‘आओ बात करें‘ रहा, जहाँ लोगों से मानसिक स्वास्थ्य के बारे में चचार् की गई, जिससे उन्हें भी बहुत फायदा मिला। कैसे मन को नियंत्रण में रखे, हमेशा सकारात्मक और ऊजार्वान रहे। इस दौरान उन्होंने युवोदय कोंडानार और यूनिसेफ के कई सामाजिक कायर्क्रमों में भी भाग लिया। यहाँ से उनके जीवन में एक बार पुनः सकारात्मक परिवतर्न आया उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने पुनः एग्जाम की तैयारी करना प्रारंभ कर दिया।
यूट्यूब से की तैयारी
उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की, रोज सुबह 4 बजे से 7 बजे तक फिजिकल की तैयारी और बाकी समय यूट्यूब से एग्जाम की पढ़ाई करते थे। 2021 में उन्होंने असम राइफल में राइफल मैन के पद के लिए एग्जाम दिया तथा 2022 में फिजिकल और मेडिकल भी क्लियर हो गया। इस तरह 5 बार असफल होने के बाद 6 वीं बार लक्ष्मीनारायण अपने सपनों को साकार करने में सफल हुए।