इसके लिए हर मतदाता को अपना अधिकार समझना चाहिए और जाति, धर्म, प्रलोभन, स्वार्थ से उपर उठकर मतदान वाले दिन मतदान जरूर करना चाहिए। चेंजमेकरों ने यह भी कहा कि, लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में स्थिति और परिस्थिति अलग होती है। यहां तक कि मुद्दे भी अलग अलग हो जाते है एक से प्रदेश तो दूसरे से देश की बागडोर हम उन नेताओं को सौप देते हैं। ताकि वो पूरे पांच सालों तक विकास की गंगा बहाते रहे।
अच्छी राजनीति के लिए अच्छे लोगों को आना होगा
बफ ना निवासी राजू पांडे की माने तो कोई भी सरकार आए वो मजबूत हो उसकी टांग खीचने वाला कोई न हो तो बेहतर है। तभी वह अपने घोषणाओं और अपने विचार से विकास की नैया को पार करवा सकते हैं। उनके पास लोकसभा में पूरी पावर होने से ही यह संभव हो पाएगा वरना विकास की बात शुरू होने से पहले ही विपक्षी इसमें अडंगा डाल सकते हैं। बिरज नाग आने वाले संभावनाओं को देखते अपनी बता कहते है कि, हम वोट देकर देश का भविष्य पूरे पांच साल तक उन नेताओं के नाम कर देते है जिन्हें हम ने वोट किया है।
इसलिए हमे सोच-समझकर ही मतदान करना चाहिए ताकि हमारे द्वारा चुना गया नेता हमारी भी सुनने वाला हो। वही विजय गुप्ता की माने तो पांच सालों तक हम लोगों ने एक सरकार के कामकाज को देख लिया है कि उसने कितना विकास और भ्रष्ट्राचार किया अब हमें उसी आधार पर आने वाले लोकसभा में मतदान करना होगा।
वहीं घनश्याम शर्मा की माने तो राजनेता पढ़ा-लिखा हो और समझदार हो। जो भी योजनाएं बनाए उसे टेबल से तक ही न रहने दे उसे लोकसभा के पटल पर भी रखने की हिम्मत उसमें होनी चाहिए। चुनाव में हर राजनीतिक पार्टी वैसे तो अच्छे उम्मीदवारों का ही चयन करती है, लेकिन पार्टी को ऐसे उम्मीदवारों से दूर रहना चाहिए तो धन-बल व जाति-धर्म के नाम पर वोट की मांग करता हो। इससे न केवल उस लोकसभा के लोगों के साथ धोखा होगा बल्कि उससे उस पार्टी की छवि भी धूमिल होती जाती हैं।