जहां वर्ष 2015 में सुभा पिता काहरू के जमीन में मनरेगा से डबरी निर्माण की स्वीकृति तो मिली और ग्रामीणों ने उसमें बकायदा काम भी किया, लेकिन आज पांच साल बितने को है मनरेगा के अधिकारियों ने इन मजदूरों की मजदूरी दिलवाना उचित नहीं समझा। ऐसा नहीं है कि, ग्रामीणों ने अपनी इस बात को लेकर किसी को अब तक सूचित नहीं किया। बावजूद इसके इनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
आखिरकार अफसरों से काम बनता न देख अब ग्रामीण मजदूरों ने जिला पंचायत अध्यक्ष के नाम ज्ञापन सौपते हुए अपने मेहताने की राशि दिलवाने का आग्रह किया हैं। यह कोई पहली मर्तबा नहीं हुआ जब इस तरह से मजदूरों को काम करने के बाद अपनी मजदूरी के लिए भटकना पड़ रहा हैं। बल्कि इससे पहले भी कई दफे इस तरह के मामले सामने आ चुके है।