साल भर में सिर्फ 12 घंटे खुलता है यह मंदिर छत्तीगढ़ के जिस इलाके में यह मंदिर बना है वह नक्सलियों का इलाका कहा जाता है. यही कारण है कि सिक्योरिटी की वजह से इस मंदिर के आस-पास लोगों का जाना मना है. इस इलाके के बीच में हरा-भरा जंगल है जिसके बीच बचा है छोटा सा गांव अलोर. इसी गांव में एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है लिंगेश्वरी का यह मंदिर पत्थर हटाकर मंदिर में होता है प्रवेश इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए पहाड़ी पर रखे पत्थर को हटाकर जाना पड़ता है. इस मंदिर में भगवान शिव और पार्वती समन्वित रूप में है. यही कारण है कि इसे लिंगेश्वरी नाम से जाना जाता है.
खीरा चढ़ाने से होती है मन की मुराद पूरी मान्यता है कि इस मंदिर में खीरा चढ़ाने से मन की मुराद पूरी होती है. इसी वजह से इस मंदिर के बाहर बहुत सारी संख्या में खीरा मिलता है. लोग ना सिर्फ खीरा चढ़ाते हैं बल्कि प्रसाद के रूप में भी खीरा अपने घर लेकर भी जाते हैं.
इस मंदिर की मान्यता ये भी है कि अगर यहां विवाहित जोड़ा आकर खीरा चढ़ाता है तो उसे औलाद की प्राप्ति होती है. जब इस मंदिर के कपाट खुलते हैं तो लोगों को इस बारे में पहले से बता दिया जाता है और इस दिन पुलिस और प्रशासन की सुरक्षा में लोग इस मंदिर के दर्शन करते हैं.