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एसडीएम ने सरपंचो को कहे ऐसे शब्द सुनकर रौंगटे खड़े हो जाएगें आपके, मामला गरमाया

locationकोंडागांवPublished: Sep 14, 2017 10:53:46 am

Submitted by:

ajay shrivastav

ऑडिट में एसडीएम के बिगड़े बोल के बाद सरपंचों ने खोला मोर्चा को अभद्र टिप्पणी के विरोध में सौंपा ज्ञापन, और तैयारी है एसडीएम की बोलती बंद करने की

एसडीएम ने सरपंचो को कहे ऐसे शब्द

एसडीएम ने सरपंचो को कहे ऐसे शब्द

कोण्डागांव. पिछले माह हुये सोशल आडिट की जनसुनवाई की अध्यक्षता करते कोण्डागांव एसडीएम खेमलाल वर्मा पर सरपंचों ने अपशब्दों का प्रयोग करने का आरोप लगाते मोर्चा खोल लिया है। इस मामले को लेकर बुधवार को जनपद पंचायत के सभी ग्राम पंचायतों के संरपचों ने कलक्टर समीर विश्नोई को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के द्वारा किये गये अभद्र टिप्पणी के संबंध में ज्ञापन सौंपा। सरपंचों ने एकमत होकर इस घटना के सप्ताह भर बीतने के बाद यह निर्णय लेते कलक्टर के सामने अपनी बात रखी। ज्ञात हो कि पिछले एक दशक में यह पहला मामला है जब किसी एसडीएम के ऊपर इस तरह के आरोप सरपंच संघ के द्वारा लगाया गया है।
इसलिए नाराज है सरपंच संघ
सरपंच संघ के अध्यक्ष बंगाराम सोढ़ी ने बताया कि 31 अगस्त को जनपद पंचायत के सभा कक्ष में सोशल आडिट की जनसुनवाई चल रही थी। तभी एसडीएम सरपंचों पर भड़क गये और अपशब्दों का प्रयोग करते हुये पंचायती राज अधिनियम की धारा 92 के तहत सभी सरपंचों को जेल भेजने व वसूली की धमकी देते हुये सरपंचों को भ्रष्ट व खलनायक तक की संज्ञा दे डाली, जिससे सरपंचों में आक्रोश है। कलक्टर को सौंपे गये ज्ञापन में सरपंच संघ ने यह लेख किया है कि सभी पंचायत जनप्रतिनिधि अपने-अपने इलाके में विकास कार्य कराने में कोई कमी नहीं करते। किस स्थिति में विकास कार्य पंचायतों में कराया जा रहा है, यह मौके पर पहुंच कर ही देखा जा सकता है। बावजूद इसके सरपंचो को बार-बार वसूली व जेल भेजने की धमकी दी जाती है जो उचित नहीं है। सभी कार्यो के आनलाइन मस्टरोल के माध्यम से स्वीकृति कार्य की राशि सीधे मजदूरों के खाते में आती हैं ऐसे में गड़बड़ी की कल्पना करना ठीक नहीं है।
एसडीएम का कहना है
एसडीएम खेमलाल वर्मा ने चर्चा के दौरान बताया कि मनरेगा से हुए निर्माण में सोशल आडिट की रिपोर्ट में भ्रष्टाचार सामने आए हैं। इसकी रिकवरी होनी है। जनसुनवाई के दौरान केवल 1993 पंचायती राज अधिनियम की धारा 40 व 92 के प्रावधानों की जानकारी उपस्थितों को दी थी। मेरा किसी से कोई व्यक्तिगत द्वेष नहीं है।
कहा, ऐसे हालत में काम करना संभव नहीं
कलक्टर विश्नोई को दिये ज्ञापन में सरपंचों ने एकमत होकर निर्णय लेते कहा है कि काम करने के बाद भी यदि हमे दोषी करार दिया जाता है। बार-बार जेल भेजने की धमकी मिलती है तो ऐेसी स्थिति में जनपद के किसी भी पंचायत में मनरेगा का कार्य करना संभव नहीं है। यदि यही स्थित रही तो सरपंच मनरेगा का कार्य करना बंद कर देंगे।
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