कोंडागांव

छात्र सीख रहे बांस की झोपड़ी बनाने की कला, शोध करने आते हैं देश-विदेश से सैलानी

जिसमें बॉस व लकड़ी के उपयोग से यह झोपड़ी का निर्माण किया जा रहा हैं।

कोंडागांवFeb 15, 2019 / 03:55 pm

चंदू निर्मलकर

छात्र सीख रहे बांस की झोपड़ी बनाने की कला, शोध करने आते हैं देश-विदेश से सैलानी

कोण्डागांव. आपको यह जानकर बेहद अजीब तो लगेगा, लेकिन यह सच है कि, महाराष्ट्र नागपुर के आर्किटेक्ट की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं का एक दल इन दिनों कोण्डागांव में बांस से बनने वाली झोपड़ी के नियम कायदों को सिखने यहां पहुंचा हैं। जिसे स्थानीय बॉस व काष्ट शिल्प के कलाकार उन्हें झोपड़ी बनाने की कला सिखा रहे हैं। जिला मुख्यालय स्थित बांधा तालाब के निकट यह झोपड़ी बनाई जा रही हैं। जिसमें बॉस व लकड़ी के उपयोग से यह झोपड़ी का निर्माण किया जा रहा हैं।
शिल्पसिटी के नाम से प्रसिद्धि पा चुके जिला मुख्यालय को लोग कलाकारों की कलाकृति से भी पहचानते है, और इन्हीं कलाकृतियों के निर्माण की प्रक्रिया को समझने देश-विदेश से सैलानियों के साथ ही शोधार्थी यहां आते तो है, लेकिन यहां अब पारंपरिक तौर-तरीकों से बनाए जाने वाले झोपड़ी निर्माण की प्रक्रिया को समझने के लिए भी अब बड़े शहरों के लोग यहां पहुुचने लगे हैं।
अंग्रेजी बोलने वाले छात्र समझने लगे हल्बी
अपने कॉलेजों में फ र्राटेदार अंग्रेजी में अपने अध्यापकों से चर्चा करने वाले छात्र यहां आकर हल्बी को समझने का प्रयास तो कर ही रहे है साथ ही स्थानीय कलाकार जो उन्हें सिखा रहे है। उनके हर बातों को ध्यान से भी सुनकर समझ रहे हैं।
आर्किटेक्ट की छात्र रूपाली कहती है, हम लोग बड़े शहरों के हिसाब से ही सोचते है और उसी के आधार पर अपनी डिजायन करते है, लेकिन यहां आने से हमें इस तरीके से भी रहा जा सकता है इसे समझने का मौका मिला। वही एक अन्य छात्र ने बताया कि, यहां की बंबू आर्ट के बारे में तो सुना जरूर है, लेकिन इससे भवन का निर्माण भी होता है यह हमें पता नही था। इसलिए हम सब छात्र इस प्रोजेक्ट को समझने यहां आ गए। और जब हम लोग पासआउट हो जाएंगे तो हम इस तरह के डिजायन और भी बेहतर तरीके से कर सकेगें।

दस साल तक बरकरार रहेगी झोपड़ी
दरअसल यह पूरा प्रोजेक्ट ऋ षभ जैन व निशा का है जो खुद आर्किटेक्ट हैं और इन्होंने कई भवनों की डिजानिंग तो की पर बस्तर में बनने वाली झोपड़ी जैसा आंनद और इसकी खासियत को देखते हुए इन्होंने जिला पंचायत के बिहान योजना से स्वसहायता समूहों के लिए झोपड़ी बनाने का निर्णय लिया जहां से वे अपने उत्पादों की खरीदी-बिक्री कर सके। इस प्रोजेक्ट में बनने वाले स्ट्रक्चर को देखने के लिए आइडिया कॉलेज ऑफ आर्किटेक्ट के छात्र यहां पहुंचे हुए है। जो न केवल इसकी प्रक्रिया को देख रहे हंै, बल्कि इसके निर्माण में सहयोग भी कर रहे हैं। जिसमें नाप-जोख के साथ ही साइज, हाइट आदि को पारंपरिक तरीके से ही बनाया जा रहा हैं।
आर्किटेक्ट ऋषभ जैन व निशा ने बताया कि, उनकी इस पहल से जहां एक ओर लोगों को यह आकर्षित करेगा वहीं इसका नाव सेप का डिजायन लुभावना होगा। वे कहते है कि, इस स्ट्रक्चर से बनने वाली झोपड़ी एक दो दफे मरम्मत के बाद दस साल तक टिकी रह सकती हैं।

Home / Kondagaon / छात्र सीख रहे बांस की झोपड़ी बनाने की कला, शोध करने आते हैं देश-विदेश से सैलानी

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.