अधिकारी नामजोक कर गए तो वापस ही नही लौटे
ग्रामीणों के बार-बार आवेदन किये जाने के बाद तीन से चार दफे वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी यहा स्थल चयन की बात कहते हुए नापजोख तो किया। लेकिन खोदाई करवाने अब तक कोई नही पहुँचा है। जिससे ग्रामीणों में नाराजगी भी देखने को मिल रही है। लेकिन ग्रामीणों ने हर साल होने वाली पानी की समस्या को देखते हुए स्वयं से ही तालाब खोदाई करना ही बेहतर समझा।
सर्वसम्मति से लिया निर्णय
गांव के आसपास कोई तालाब व साधन नहीं होने से यहां के ग्रामीणों ने बैैठकों का आयोजन कर निर्णय लिया कि, बस्ती के सभी लोग अपने-अपने परिवार से 2-2 हजार रुपए चंदा करेंगे साथ ही तालाब खोदने के काम में श्रमदान भी करेंगे। सर्व सहमति से निर्णय होने के बाद देवगांववासियों के द्वारा जल्द से जल्द तालाब का निर्माण हो इसके लिए किराए पर जेसीबी लगाकर और श्रमदान से गोदी खोदकर जोर-षोर से तालाब के निर्माण कार्य में जुटे नजर आ रहे हैं।कोरोना के संक्रमणकाल में किए गए, लंबे लाॅक डाउन में ग्रामवासियों द्वारा आर्थिक संकट में होने के बावजूद अपने खर्च पर तालाब का निर्माण कराया जाना ग्रामीणों की एक अनुकरणीय पहल भी है।