निश्चित है कि हमारे देश में जो 1991 की आर्थिक पॉलिसी बनी है उसके हिसाब से सरकारें चल रही हैं। उसमें एक चीज जो कहा जा रहा है कि देखा जा रहा है कि ग्लोबलाइजेशन का जो स्रोत है उसमें साफ दिख रहा है महसूस किया जा रहा है कि प्रायवटाइजेशन ऑफ प्राफिट और सोशलाइजेशन ऑफ लॉस यानि जो भी बिजनेस मैन प्राफिट करता है वो प्राफिट उसका होता है उसके परिवार का होता है। लेकिन जो लॉस करता है उसका पैसा एनपीए के माध्यम से पूरे देश के मजदूर और जनता चुकाती है। इसका हम विरोध करते हैं।
सेंट्रल केमिकल मिनिस्टर सदानंद गौड़ा 22 को रहेंगे जिले के प्रवास पर, ये होगा खास…हम चाहते हैं कि भारतीय मजदूर संघ हिंदुस्तान का संगठन है। सरकार की जो नीतियां है वो मजदूरों के हित में नहीं है ये पूंजीपतियों के पक्ष में हैं। मेरी राय से सहमति हो सकती है असहमति हो सकती है। मैं चाहता हूं कि आप मजदूर हित में इस देश हित में अपनी लड़ाई लड़ें। हम सब संगठन खासकर गैर सिटू संगठन हमेशा आपके साथ खड़ा रहेगा।