scriptखराबी की वजह से बंद करना पड़ रहा यूनिट, सेंट्रल सेक्टर से 30 हजार मिलियन यूनिट खरीदी बिजली… | 30 thousand million units of electricity purchased from Central Sector | Patrika News

खराबी की वजह से बंद करना पड़ रहा यूनिट, सेंट्रल सेक्टर से 30 हजार मिलियन यूनिट खरीदी बिजली…

locationकोरबाPublished: Dec 04, 2019 12:22:53 pm

Submitted by:

Vasudev Yadav

प्रदेश सरकार की सबसे पुरानी संयंत्र की इकाईयों के बंद होने के बाद बिजली संकट गहरा गया है, जो संयंत्र संचालित हैं उनके यूनिट भी फुल लोड पर नहीं चल पा रहे हैं। अलग-अलग खामियों की वजह से बिजली संकट बना हुआ है।

खराबी की वजह से बंद करना पड़ रहा यूनिट, सेंट्रल सेक्टर से 30 हजार मिलियन यूनिट खरीदी बिजली...

खराबी की वजह से बंद करना पड़ रहा यूनिट, सेंट्रल सेक्टर से 30 हजार मिलियन यूनिट खरीदी बिजली…

कोरबा. सरकारी संयंत्रों के यूनिट फुल लोड पर नहीं चल पा रहे हैं। कहीं कोयले की कमी से तो कहीं तकनीकी खामियों की वजह से यूनिट बंद करने पड़ रहे हैं। इस अवधि में पिछले साल दिसंबर से लेकर अक्टूबर 2019 तक कुल 30,174 मिलियन यूनिट बिजली की खरीदी की गई है। इन यूनिट को खरीदने के ऐवज में सरकार को करोड़ों वहन करने पड़े।
केटीपीएस संयंत्र की 50-50 इकाई की यूनिट को बीते दो साल के बीच बंद किया गया। चार में से दो इकाईयों को 2017-18 में बंद किया गया। जबकि शेष दो इकाईयों को वित्तीय वर्ष 2017-18 मेें बंद किया गया। प्रदेश सरकार की सबसे पुरानी संयंत्र की इकाईयों के बंद होने के बाद बिजली संकट गहरा गया है, जो संयंत्र संचालित हैं उनके यूनिट भी फुल लोड पर नहीं चल पा रहे हैं। अलग-अलग खामियों की वजह से बिजली संकट बना हुआ है। आपूर्ति के लिए प्रदेश सरकार ने सेंट्रल सेक्टर सहित अन्य कंपनियों से बिजली की खरीदी करनी पड़ी। 2018 दिसंबर से लेकर अक्टूबर 2019 तक कुल 30174 मिलियन यूनिट बिजली की खरीदी की गई। इससे दो साल पहले भी राज्य सरकार द्वारा 905 करोड़ की बिजली सेंट्रल सेक्टर से खरीदी की गई थी।

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मेंटनेंस पर 30 करोड़ से अधिक खर्च
मेंटनेंस में लगभग 30 करोड़ रूपए खर्च करना पड़ गया। सरकारी प्लांटों की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। एक तो यूनिट के बंद होने से नुकसान तो दूसरी तरफ मेंटनेंस पर भी करोड़ों रूपए खर्च करने पड़ रहे हैं। हर संयंत्र में बिजली बनने की लागत अलग-अलग है। जैसे डीएसपीएम में प्रति यूनिट के पीछे दो रूपए 70 पैसे, दो रूपए 30 पैसे में पूर्व संयंत्र, अन्य प्लांटों में भी औसतन तीन रूपए प्रति यूनिट की लागत से बिजली बन रही है।

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2013 से 18 तक 5 हजार मिलि. यूनिट्स की खरीदी
राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी की पांच साल की रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2013-14 से लेकर 2017-18 तक पांच साल में हर वर्ष किसी न किसी बिजली संयंत्र में तकनीकी खराबी की वजह से इकाईयां बंद रही। 2013-14 में चार प्रमुख संयंत्र की ईकाईयां 264 दिन तक बंद रहे। इसी तरह 2014-15 में 350 दिन तक, सबसे अधिक 2015-16 व 2016-17 में ईकाईयों को बंद रखा गया। इसमें 2015-16 में 630 दिन तक, 2016-17 में 592 दिन तक बंद रहे। जैसे कि कोरबा पूर्व की छह ईकाईयां क्रमश: 129, 91, 170, 59, 63 व 15 दिन तक बंद रहे। इसी तरह 2017-18 में दिसंबर तक कोरबा पूर्व की 580 सहित अन्य प्लांटों के यूनिट्स 52 दिन तक बंद रहे। इस तरह पिछले पांच साल में ये यूनिट 2558 दिन तक बंद रहे। उत्पादन कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार इन यूनिटों के तकनीकी खराबी की वजह से बंद रहने की वजह से उत्पादन में लगभग ५ हजार मिलियन यूनिट्स की कमी आई है। जब-जब ये यूनिट्स बंद रहे जरूरत पडऩे पर उत्पादन कंपनी ने सेंट्रल सेक्टर से बिजली की खरीदी की।

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प्लांट में लगातार हो रही खराबी की प्रमुख वजह
– पुरानी हुई इकाईयां : संयंत्रों की इकाईयां काफी पुरानी हो चुकी है। मेंटेनेंस नहीं होने की वजह से बार-बार तकनीकी समस्या सामने आ रही है।
– कर्मचारियों की कमी : वर्तमान में सभी प्लांटों में हर यूनिट में कर्मचारियों की संख्या आधे से भी कम हो चुका है, ठेका कर्मियों के भरोसे संयंत्र।
– समय पर रखरखाव का अभाव : समय पर संयंत्रों का रखरखाव नहीं होने की वजह से यूनिट्स बार-बार ट्रीप हो जा रही हैं।
– खराब कोयले की आपूर्ति : कई बार शिकायतें सामने आई कि प्लांटों को खराब कोयले की आपूर्ति की जा रही है। इससे संचालन में परेशानी।

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