कोरबा

मौसम बिगड़ते ही दगा दे रही बिजली, 33 केवीए सप्लाई बंद रहने से शहर में रहता है अंधेरा

– तुलसीनगर सबस्टेशन को डबल लाइन का अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है।

कोरबाApr 16, 2018 / 11:10 am

Shiv Singh

कोरबा . मौसम खराब होते ही शहर की बिजली वितरण व्यवस्था चरमरा जाती है। इसमें सुधार करने के लिए दो सबस्टेशनों को डबल लाइन से जोड़ा गयाा। इसका लाभ बुधवारी व नेहरुनगर सबस्टेशन के दायरे में आने वाले क्षेत्र को मिल रहा है। तुलसीनगर सबस्टेशन को डबल लाइन का अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है।
शहर की बिजली वितरण व्यवस्था का संचालन पॉवर हाउस स्थित 132/33 केवीए सबस्टेशन से होता है। वितरण सबस्टेशनों को ३३ केवीए बिजली की आपूर्ति की जाती है। इस लाइन में आए दिन खराबी आ रही है। हल्की हवा चलने पर सप्लाई बाधित हो जाती है। मौसम बिगडऩे पर लंबे समय तक सप्लाई बहाल नहीं हो पाती। इससे शहरवासियों को परेशान होना पड़ता है।
अधिकारियों का कहना है कि पॉवर हाउस से एक लाइन सीधे बुधवारी सबस्टेशन तक खींची गई है। लाइन की लंबाई अधिक नहीं है। बुधवारी से नेहरुनगर व यहां से इमलीडुग्गु तक यह लाइन गई है। रास्ते में खराबी आने पर एक साथ तीन सबस्टेशन बंद होते थे। खराबी को खोजने में काफी समय लग जाता था। रात में खराबी आने पर परेशानी और बढ़ जाती थी। इसे देखते हुए लाइन को डबल करने का निर्णय लिया गया। कार्य की निविदा बुलाई गई। इसकी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद कार्य आदेश जारी कर दिया गया। कार्य का लाभ भी मिल रहा है।
कोरबा पूर्व संयंत्र में कार्यरत अधिकारियों के लिए अलग से कालोनी की बनाई गई है। यहां की बिजली वितरण व्यवस्था बदहाल है। हालत यह है कि बिजली आने जाने का समय ही निर्धारत नहीं रहता। अधिकारियों की कालोनी होने के बाद सुधारने ध्यान नहीं दे रही है।
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तुलसीनगर को नहीं मिल रहा डबल लाइन का लाभ
शहर के आधे हिस्से को बिजली की आपूर्ति तुलसीनगर सबस्टेशन से की जाती है। इस सबस्टेशन के लिए डबल लाइन पहले खींची जा चुकी है। दूसरी लाइन पॉवर हाउस से सीधे न खींचकर एबी टाइप सबस्टेशन से जोड़ी गई है। अधिकारियों की कालोनी में बने इस सबस्टेशन की लाइन पहले से जर्जर हालत में है। कालोनी में आए दिन अंधेरा रहता है। इससे डबल लाइन का जो लाभ तुलसीनगर को मिलना चाहिए, वह नहीं मिल पा रहा है। शहर के आधे हिस्से की सप्लाई बाधित होती रहती है। इस सबस्टेशन से टीपी नगर, पॉवर हाऊस रोड सहित आसपास के इलााके में की जाती है।

फुल लोड पर मड़वा संयंत्र, कम लोड पर चलाये जा रहे कोरबा के संयंत्र

कोरबा. प्रदेश में बिजली की मांग घट गई है। रविवार की शाम पिकआवर में मांग २६०० मेगावाट थी। इसे देखते हुए कोरबा के संयंत्रों को कम लोड पर चलाया गया। मड़वा की इकाइयां फुल लोड पर चलाई जा रही थी। इसके बाद भी बिजली की उपलब्धता तीन हजार मेगावाट थी।
मड़वा में पॉवर कंपनी द्वारा ५०० मेगावाट की दो इकाई स्थापित की गई है। एक हजार मेगावाट के इस संयंत्र में ९२८ मेगावाट बिजली बनाई जा रही है। दोनों इकाई को फुल लोड पर चलाया जा रहा है। कोरबा के डीएसपीएम ताप विद्युत गृह में ३९० मेगावाट बिजली बनाई जा रही थी। यहां पर २५० मेगावाट की दो इकाई स्थापित है।
कोरबा पश्चिम संयंत्र में ९६७ मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। यहां की उत्पादन क्षमता १३४० मेगावाट है। २१० मेगावाट की चार इकाई व ५०० मेगावाट की एक इकाई में बिजली बनाई जाती है। ४४० मेगावाट वाले कोरबा पूर्व संयंत्र में २२५ मेगाावाट बिजली बन रही है। यहां पर ५० मेगावाट की चार व १२० मेगावाट की दो इकाई स्थापित है। ५० मेगावाट की दो इकाई बंद है। अधिकारियों का कहना है कि मड़वा संयंत्र नया है। कोरबा के संयंत्र पुराने हो गए है। कुछ दिनों से शाम के समय मौसम में बदलाव सामने आ रहा है।
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