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B.com की 60 सीटों वाले बरपाली कॉलेज में चार सहायक प्राध्यापक, PG में 200 सीटें पर एक से ही चल रहा काम

locationकोरबाPublished: Jul 14, 2018 10:50:34 am

Submitted by:

Shiv Singh

ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल जरूरतमंद छात्रों की शिक्षा से खिलवाड़

ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल जरूरतमंद छात्रों की शिक्षा से खिलवाड़

ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल जरूरतमंद छात्रों की शिक्षा से खिलवाड़

कोरबा. स्कूल- कॉलेजों में शिक्षकों की कमी की वजह से पढ़ाई प्रभावित होने की बात आप सभी ने सुनी होगी। लेकिन जिले में उल्टी गंगा बह रही है। बरपाली के शासयकीय महाविद्यालय में जरूरत से ज्यादा शिक्षक पदस्थ हैं, और जिन कॉलेजों को वास्तव में प्रोफेसर चाहिए वहां हर साल अतिरिक्त पगार देकर अतिथि शिक्षक नियुक्त किए जाते हैं।

शासकीय कॉलेज बरपाली में कॉमर्स की 60 सीटों के लिए चार सहायक प्रोफेसर पदस्थ हैं जबकि शहर के शासकीय पीजी कालेज में कामर्स की 200 सीटें होने के बावजूद केवल एक ही प्राध्यापक पदस्थ है। हैरानी वाली बात यह है कि बरपाली में कॉमर्स के सहायक प्रध्यापक के केवल दो ही पद स्वीकृत हैं।
लेकिन ट्रांसफर पोस्टिंग के खेल से चहेतों को मनपसंद स्थान पर पदस्थापित किया गया है। बात सिर्फ यहीं नहीं थमती शहर के बीच स्थित जिले के लीड शासकीय पीजी कॉलेज में कॉमर्स के एक प्रध्यापक और तीन सहायक प्राध्यापक के पद स्वीकृत हैं। यहां बीकॉम में उपलब्ध सीटों की संख्या भी 200 है। हर साल सीटें फुल भी हो जाती हैं। फिर भी यहां कुल चार स्वीकृत पदों के विरूद्ध सिर्फ एक सहायक प्राध्यापक कार्य कर रहे हैं।


सीटें भी रह जाती हैं खाली
बरपाली कॉलेज में बीकाम की 60 स्वीकृत सीटों की तुलना में सत्र 2016-17 में केवल 24 छात्र ही प्रथम वर्ष की परीक्षा में शामिल हुए थे। हर साल बरपाली कॉलेज की सीटें रिक्त रह जाती हैं। बीकाम द्वितीय व तृतीय वर्ष की में पढऩे वाले छात्रों की संख्या इससे भी कम होती है। सत्र 2018-19 में बीकाम प्रथम वर्ष की 60 सीटों के विरुद्ध 16 ने ही लिया है जबकि एम कॉम की 20 सीटों के लिए 36 आवेदन आए हैं। लेकिन प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या शून्य है।

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बरपाली कॉलेज में कॉमर्स विभाग के एचओडी डॉ.सीबी प्रसाद ने बाताया कि यहां कॉमर्स विषय के चार प्रोफेसर पदस्थ हैं। मेरे अलावा मृगेश कुमार, मनहरण अनंत व कल्पना कंवर भी यहां पदस्थ हैं। पिछले वर्ष प्रथम वर्ष का परीक्षा परिणाम 79 प्रतिशत था। 2015-16 में प्रथम वर्ष का परीक्षा परिणाम 55 प्रतिशत रहा था।


पीजी में हर साल सीटें फुल
बरपाली में सीटें रिक्त रहती हैं लेकिन पीजी कालेज में हर साल बीकॉम की 200, तो एम कॉम की सभी 90 सीटें फुल हो जाती हैं। इस सत्र में भी पीजी कालेज में बी कॉम की 200 सीटों के लिए 657 छात्रों ने आवेदन किया है। जिसमें से 133 ने प्रवेश भी ले लिया है। जबकि जो छात्र मेरिट में नहीं आ पाए हैं। वह अब भी प्रवेश लेने के लिए 14 जुलाई का इंतजार कर रहे हैं। पीजी कॉलेज में पिछले वर्ष में बी कॉम के प्रथम वर्ष का परीक्षा परिणाम 77 प्रतिशत रहा था। पीजी कॉलेज में इकलौते कॉमर्स के सहायक प्राध्यापक रमेश कुमार मौर्य ने कहा कि काम ज्यादा तो रहता है। लेकिन अतिथि शिक्षकों के माध्यम से क्लासेस पूरी की जाती हैं।


एक प्रोफेसर का वेतन पीजी कॉलेज से ही
नियमानुसार जितने पद कॉलेज में स्वीकृत हैं। उतने ही कर्मचारियों के वेतन वहां से आहरित किए जा सकते हैं। इसलिए चार सहायक प्राध्यापक में से मनहरण अनंत का वेतन पीजी कॉलेज से निकाला जाता है।


सभी की जानकारी में
ट्रांसफर और पोस्टिंग का खेल शासन स्तर का मामला है। शिक्षकों की पदस्थापना के आदेश उच्च शिक्षा विभाग जारी करता है। समय-समय पर विश्वविद्यालय व शासन को रिक्त व कार्यरत प्राध्यापकों की सूची प्रेषित की जाती है। इस दिशा में कलेक्टर से लेकर बीयू व शासन को भी अवगत कराया जा चुका है। एक बार तो पीजी कॉलेज प्रबंधन द्वारा इस विषय में कलेक्टर के माध्यम से शासन को पत्र भी भेजा गया था। लेकिन इसका नतीजा कुछ भी नहीं निकल सका।


-पीजी कॉलेज में कॉमर्स में सिर्फ एक प्राध्यापक हैं जबकि बरपाली में 2 स्वीकृत पद के विरूद्ध चार कार्यरत हैं। पोस्टिंग शासन स्तर का मामला है। इस विषय में उच्चाधिकारियों से लेकर शासन तक को अवगत कराया जा चुका है।
-डॉ आरके सक्सेना, प्राचार्य लीड कॉलेज
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