script50 फीसदी से ज्यादा कॉलेजों में नियमित प्राचार्य नहीं, प्रभारी के भरोसे है व्यवस्था | 50 percent of the colleges do not have regular principals, in-charge is the trust | Patrika News

50 फीसदी से ज्यादा कॉलेजों में नियमित प्राचार्य नहीं, प्रभारी के भरोसे है व्यवस्था

locationकोरबाPublished: Jul 17, 2017 10:20:00 am

जिले के पचास फीसदी से ज्यादा महाविद्यालयों में नियमित प्राचार्य नहीं है।
प्रभारी  प्राचार्यों के भरोसे कामकाज संभाला जा रहा है। प्

50 percent of the colleges do not have regular pri

50 percent of the colleges do not have regular principals, in-charge is the trust

कोरबा. जिले के पचास फीसदी से ज्यादा महाविद्यालयों में नियमित प्राचार्य नहीं है। प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे कामकाज संभाला जा रहा है। प्रभारवाद से कई प्रकार की व्यवहारिक परेशानियां सामने आ रही है। इससे अध्यापन कार्य से लेकर कार्यालयीन व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।

शासकीय कॉलेजों की तरह ही निजी कॉलेजों का भी हाल है। शासकीय कॉलेजों में जहां सहायक प्राध्यापक को ही प्राचार्य के पद पर पदस्थ किया गया है तो वहीं निजी कॉलेजों में प्रबंधकों ने कम योग्यता वाले प्राध्यापकों को प्रभारी प्राचार्य का पद दिया है। जिन शासकीय कॉलेज में नियमित प्राचार्य नहीं है। वहां प्राध्यापकों को दो पद की जवाबदारी संभालनी पड़ती है।

इससे प्राध्यापक अपने विषय के अध्यापन कार्य पर समय नहीं दे पाते। खासकर वर्तमान में एडमिशन की प्रक्रिया के दौरान प्राचार्य ज्यादा उलझे रहते हैं। इसके बाद बीच में पूरक परीक्षा फिर मुख्य परीक्षा का दौर शुरू हो जाता है। कुल मिलाकर साल भर प्रभारी प्राचार्य अन्य कार्यों में उलझे हुए रहते हैं।

एक तरफ जहां उच्च शिक्षा विभाग और यूजीसी द्वारा महाविद्यालयों में क्वालिटी एजूकेशन की बात कही जाती है तो दूसरी तरफ कॉलेजों में व्यवस्था लगातार खराब होती जा रही है। सिर्फ शासकीय पीजी कॉलेज, शासकीय दीपका कॉलेज, शासकीय कॉलेज भैसमा, मुकुटधर पांडे कॉलेज कटघोरा, शासकीय कॉलेज पाली व बरपाली में नियमित प्राचार्य हैं।

 इन कॉलेजों में प्रभारी प्राचार्य-
जिले के शासकीय कॉलेजों में हरदीबाजार का ग्राम्य भारती विद्यापीठ कॉलेज में डॉ टीडी वैष्णव, शासकीय मिनीमाता गल्र्स कॉलेज में डॉ तारा शर्मा, शासकीय करतला कॉलेज में डॉ एन कंवर, केएन में के जे कौर प्रभारी प्राचार्य के भरोसे काम चल रहा है। तो वहीं बीडीएम पाली, केसीसी,माता कर्मा, हसदेव कॉलेज आमापाली में स्थायी प्राचार्य नहीं है।

परिनियम 18 के तहत विषय विशेषज्ञ तक नहीं- बीयू द्वारा कई बार जिले के निजी कॉलेजों को नोटिस जारी कर परिनियम 18 के तहत विषय विशेषज्ञों की भर्ती के लिए कहा गया है। लेकिन हर बार कम योग्यता वाले शिक्षकों की भर्ती कर काम चलाया जा रहा है। स्थिति ये है कि सत्र के बीच में कई शिक्षक छोड़ कर चले जाते हंै। निजी कॉलेज वेतन अधिक देने से बचने के लिए कम योग्यता वाले शिक्षकों को रखते हैं। विवि के दस्तावेजों में यह बात साफ हो चुकी है कि विवि से संबद्ध कई कॉलेजों में अन्य प्रोफेसरों के नाम है, लेकिन वे सिर्फ विजिट करने ही आते हैं। लेकिन नियमित तौर पर पढ़ाई अन्य शिक्षकों से कराई जाती है।

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