कोरोना वायरस के फैलाव को देखते हुए प्रशासन किसी भी स्थिति में ऐसे किसी भी प्रवासी कामगार को अपने जिले से होकर अन्यत्र जाने देने या जिले में स्थित अपने गांवों तक जाने देने पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए भी कहा है। जिले में 17 जगहों पर अस्थायी पुनर्वास केन्द्र भी बनाए गए हैं। उन पुनर्वास केन्द्रों में जरूरी व्यवस्थाओं के लिए प्रभारी अधिकारियों की भी ड्यूटी लगाई गई है।
कोविड-19 लॉजिस्टिक फेसिलिटेशन टीम का गठन, जानें इस टीम में कौन-कौन होंगे शामिल, किस पर होगी पैनी नजर कोरबा विकासखण्ड के सीमावर्ती इलाकों श्यांग और कुदमुरा में दो-दो अस्थायी पुनर्वास केन्द्र बनाये गये हैं। प्री मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास श्यांग, आदिवासी कन्या आश्रम श्यांग, आदिवासी बालक छात्रावास कुदमुरा और आदिवासी कन्या आश्रम कुदमुरा को अस्थायी पुनर्वास केन्द्र बनाया गया है।
इसी तरह करतला विकासखण्ड के कोथारी के आदिवासी बालक छात्रावास को, रामपुर के आदिवासी बालक आश्रम को, कनकी के आदिवासी बालक छात्रावास को अस्थायी पुनर्वास केन्द्र के रूप में उपयोग किया जायेगा। पाली विकासखण्ड के सीमावर्ती क्षेत्रों हरदीबाजार के आदिवासी बालक बिंझवार आश्रम और आदिवासी कन्या आश्रम सहित मुनगाडीह के प्री मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास तथा सिल्ली के आदिवासी बालक छात्रावास एवं आदिवासी बालक छात्रावास को अस्थायी पुनर्वास केन्द्र बनाया गया है।
इस कालोनी में दो चील करवा रहा लॉकडाउन का पालन, बाहर निकलते ही लोगों को मारता है पंजापोड़ीउपरोड़ा विकासखण्ड के सीमावर्ती क्षेत्रों में पांच अस्थायी पुनर्वास केन्द्र बनाये गये हैं। इसमेंं आदिवासी बालक छात्रावास मोरगा, आदिवासी बालक छात्रावास कोरबी चोटिया, आदिवासी कन्या छात्रावास कोरबी चोटिया, आदिवासी बालक छात्रावास पसान और अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास पसान को बाहर से आने वाले प्रवासी कामगारों के ठहरने के लिए अस्थायी पुनर्वास केन्द्र बनाया गया है।