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कोविड आइसोलेशन वार्ड में मरीजों की सेवा कर रही कोरोना फाइटर्स अनुजा ने कहा- कोविड रोकथाम में योगदान देना गर्व की बात

locationकोरबाPublished: May 12, 2020 05:05:03 pm

Submitted by:

Vasudev Yadav

Corona Fighter: सेवा भावना और कर्तव्य के प्रति दृढ़ संकल्प लिए कोरबा जिला अस्पताल की स्टॉफ नर्स अनुजा यादव पूरी मुस्तैदी से लोगों को वायरस से बचने के सुझा रही उपाय।

कोविड आइसोलेशन वार्ड में मरीजों की सेवा कर रही कोरोना फाइटर्स अनुजा ने कहा- कोविड रोकथाम में योगदान देना गर्व की बात

कोविड आइसोलेशन वार्ड में मरीजों की सेवा कर रही कोरोना फाइटर्स अनुजा ने कहा- कोविड रोकथाम में योगदान देना गर्व की बात

कोरबा. नर्सों के बगैर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना काफी कठिन है। स्वास्थ्य सेवा में इनका स्थान अहम है। कोविड-19 के संक्रमण को खत्म करने के मोर्चे पर तैनात नर्सिंग स्टॉफ भी अपने आप में डॉक्टर से कम नहीं है। सामान्य संक्रमण हो या फिर महामारी का प्रकोप नर्स की अहम भूमिका है, जो डॉक्टर से किसी भी मायने में कम नहीं है।
इसी सेवा भावना और कर्तव्य के प्रति दृढ़ संकल्प लिए कोरबा जिला अस्पताल की स्टॉफ नर्स अनुजा यादव भी कोरोना वायरस के संक्रमण के इन दिनों में नर्सें सब कुछ भूलकर पूरी मुस्तैदी से लोगों को वायरस से बचने के उपाय सुझा रही हैं। कोविड रोकथाम के लिए उन्हें सेवा देने के लिए चुना गया इसे वह गर्व समझती हैं। वह कहती हैं हमारी असली परीक्षा का समय है और हम इसमें खरा अवश्य उतरेंगे।
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देश, समुदाय को हमारी जरूरत है, हमें अपनी जिम्मेदारी समझते हुए कार्य करना है और हम करेंगे। वह कहती हैं समुदाय की सेवा करने के लिए उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई है, यह असली परीक्षा है नर्सिंग ट्रेनिंग के दौरान सेवा भाव और कर्तव्य निष्ठा के लिए गए शपथ को पूरा करने का। कोरोना महामारी के दौरान नि:संकोच दिन-रात कोरोना वॉरियर्स के रूप में सिस्टर अनुजा कोरबा जिला अस्पताल के कोविड आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी कर रही हैं।
जब वार्ड से कोविड संदिग्ध अपने घर वापस लौटता है तो उसे देखकर उन्हें काफी खुशी मिलती है। सफेद रंग की ड्रेस और अपनी मामीं को नर्स के रूप में सेवा करते देख सिस्टर अनुजा को भी नर्स के रूप में समुदाय की सेवा करने की प्रेरणा मिली। वर्ष 2008 में धमतरी से नर्सिंग की ट्रेनिंग लेने के बाद रायपुर के प्राइवेट अस्पताल में उन्होंने पहला जॉब मिला। वैसे नर्सिंग ट्रेनिंग करने के लिए उन्हें काफी विरोध भी सहना पड़ा।
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सिस्टर अनुजा कहती हैं कुछ वर्षों पूर्व हिंदू परिवार की लड़कियां बहुत कम ही नर्सिंग प्रोफेशन में आती थीं, तो उन्हें भी उस दौर में कुछ परेशानियां हुई, लेकिन माता-पिता और रिश्तेदारों के सहयोग से वह आज नर्स बनकर समुदाय की सेवा कर रही हैं। उन्होंने बताया उनकी पांच बहनें है और उनमें से तीन बहन नर्स हैं।
वर्ष 2011 में कोरबा जिले के सरबगुंदिया प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्हें सेवा करने का अवसर मिला। वह पहला मौका था जब सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था से वह रूबरू हुईं। इसके बाद 2012 से जिला अस्पताल कोरबा में स्टाफ नर्स के रूप में सेवा दे रही हैं। सिस्टर अनुजा बताती हैं कोरबा जिले में जब कोरोना के मामले अचानक आने लगे तो जिला अस्पताल और अन्य स्थानों पर कोविड विशेष वार्ड बनाए गए।
इस दौरान उनसे कोविड वार्ड में ड्यूटी के लिए पूछा गया। कुछ लोगों ने कोरोना वायरस के खतरनाक होने का कहते हुए उन्हें भी उस वार्ड में सेवा नहीं देने का परामर्श दिया, लेकिन उन्होंने अपनी दिल की बात सुनीं और कोविड वार्ड में सेवा देने को तैयार हो गई। उनका कहना है कोरोना को हराने इस वक्त हमें रिस्क तो लेना ही होगा। सिस्टर अनुजा कहती हैं सेवानिवृत्त हो जाऊंगी, अस्पताल तो आना नहीं हो सकेगा, लेकिन समाज के उन्नत स्वास्थ्य के लिए अथक प्रयास करती रहूंगी।
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