इससे इस मार्ग पर सड़क दुर्घटनाएं और मारे जाने वाले लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। पुलिस भी हादसे को नियंत्रित करने में असफल साबित हो रही है। हाइवे पर होने वाले हादसे के कई अन्य कारण भी हैं। लेकिन इन कारणो को जानने के बाद भी जिला प्रशासन की ओर से कोई प्रयास गंभीरतापूर्वक नहीं किए जा रहे हैं। इससे यात्रियों की जान खतरे में हैं।
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रंगोले चौंक: राष्ट्रीय राजमार्ग पर पाली विकासखंड में स्थित रंगोली चौक दुर्घटना की दृष्टि से सबसे अधिक खतरनाक चौक है। इस चौक के दोनों ओर बड़ी संख्या में आबादी निवास करती है। सड़क के एक छोर पर रहने वाले गांव के लोग दूसरी छोर पर चौक पार करके जाते हैं। हाइवे पर गाड़ियाें की रफ्तार अधिक होने के कारण कई बार ग्रामीण चौक पार करते समय हड़बड़ा जाते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं। कई बार तो दाएं-बाएं देखे बिना ही हाइवे पर चढ़ते और भारी गाड़ियों की चपेट में आ जाते हैं। गांव के लोगों ने यहां ओवरब्रिज बनाने की मांग की थी। उनका कहना था कि इस क्षेत्र में 50 से अधिक गांव के लोग एप्रोच रोड के माध्यम से रंगोले चौक को पार करके आना-जाना करते हैं। बताया जाता है कि रंगोले पर पूर्व में ओवरब्रिज प्रस्तावित था। जिसे बाद में यहां से हटकर बना दिया गया। हादसे की दृष्टि से पाली क्षेत्र में स्थित मुनगाडीह पुल, गाजरनाला और कपोट में भी गंभीर दुर्घटनाएं होती है। मुनगाडीह पुल के करीब अंधा मोड़ होने के कारण चालक वाहन का नियंत्रित नहीं कर पाते। गाजर नाला पर भी यात्री हादसे का शिकार हो जाते हैं। मोरगा के पास स्थित हसदेव नदी पुल के पास अंधा मोड़ है। अंबिकापुर से कटघोरा की तरफ आने वाले यात्रियों के लिए यह मोड़ बेहद खतरनाक है। पिछले महीने एल्युमिनियम लोड ट्रक का चालक हसदेव पुल को पार करने के बाद पहाड़ के बड़े पत्थर से टकरा गया था। इसमें उसकी मौत हो गई थी। हाइवे पर मोरगा के आगे अंबिकापुर सुरगुजा में स्थित ताराघाटी भी बेहद खतरनाक है।
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