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खासतौर से एसबीआई द्वारा सभी शाखाओ में पैसे जमा करने के लिए उपभोक्ताओं को ग्रीन कार्ड दिया जा रहा है। हरे रंग का ग्रीन कार्ड दिखने व उपयोग करने में पूरी तरह से एटीएम कार्ड की तरह ही होता है। लेकिन इससे केवल पैसे जमा किए जा सकते हैं। पैसे निकालने की सुविधा नहीं होती। ग्रीन कार्ड को पीओएस या ग्रीन चैनल मशीन में स्वाईप करते ही सीधे अमाउंट टाईप करने का ऑप्शन स्क्रीन पर डिस्प्ले होता है। ग्रीन कार्ड को उपभोक्ता के बैंक खाते से कुछ इस तरह लिंक किया जाता है जिससे कि कार्ड स्वाईप करते ही किसी तरह का कोई पासवर्ड डालने की भी जरूरत नहीं पड़ती। अमाउंट टाईप करने के बाद ओके बटन दबाते ही पर्ची बाहर निकलती है। जिसे काउंटर में बैठे बैंक के कर्मचारी को नगद पैसों का साथ देना पड़ता है। इससे पैसे बड़ी आसानी से कम समय में उपभोक्ता के खाते में पहुंच जाते हैं। बैंक प्रबंधन द्वारा 20 का शुल्क और एक फॉर्म में आइडी प्रूफ और फोटो लेकन इसे तुरंत इश्यू किया जा रहा है। ग्रीन कार्ड से एक दिन में 40 हजार तो एक महीने में एक लाख की रकम ही खाते में जमा की सकती है।
एटीएम है तब भी कार्ड इश्यू किया जा रहा
ग्रीन कार्ड की सुविधा देना ठीक है। लेकिन यदि उपभोक्ता के पास एटीएम कार्ड है तो फिर ग्रीन कार्ड की जरूरत नहीं है। एटीएम स्वाईप करके भी पैसे जमा किए जा सकते हैं। इसमें कोई लिमिट भी नहीं होती, लेकिन उपभोक्ता यदि बैंक में जमापर्ची लेकर पहुंचते हैं और एटीएम कार्ड घर में भूल गए हैं। तब भी उन्हें काउंटर से लौटा दिया जाता है। तुरंत 20 रूपए लेकर फॉर्म भरकर ग्रीन कार्ड इश्यू किया जाता है। बताया जाता है। एक ही अकाउंट पर कई ग्रीन कार्ड बनवा सकते हैं। इतना ही नहीं, ग्रामीण परिवेश से आने वाले व निरक्षर उपभोक्ताओं को भी ग्रीन कार्ड लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है।