कोरबा

ये समूह के भोजन का स्वाद है, लोगों ने टिफिन लाना छोड़ दिया

योजना का मिल रहा लाभ : महिला समूह चलाती है इसे, हर दिन तीन सौ लोगों को परोसती हैं भोजन

कोरबाMar 17, 2019 / 03:50 pm

Vasudev Yadav

ये समूह के भोजन का स्वाद है, लोगों ने टिफिन लाना छोड़ दिया

कोरबा. आम तौर पर प्रदेश में शुरू किए गए दाल-भात केंद्र लगभग बंद होने के कगार पर हैं या बदहाल हैं। लेकन कोरबा के कलेक्टोरेट में स्थित दाल-भात केंद्र एक ऐसा केंद्र है जहां न तो ग्राहकों का टोंटा है, न ही किसी प्रकार की बदइंतजामी है। यहां का आलम यह है कि ग्राहक बाहर खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं। टेबल खाली होता है तो वो वहां बैठते हैं। वहीं यदि सुविधा की बात करें तो जब आप इसके अंदर जाते हैं तो रेस्टोरेंट जैसी फिलिंग आती है।
दरअसल कलेक्टोरेट परिसर में संचालित इस दाल भात केंद्र का संचालन नवदुर्गा महिला स्व सहायता समूह की ओर से किया जा रहा है। लगभग दो से ढाई माह हो चुके हैं। हर दिन ग्राहकों की संख्या यहां बढ़ रही है। केवल दस रुपए में दाल भात और सब्जी परोसी जाती है। खाने की गुणवत्ता को लेकर अभी तक कोई सवाल नहीं उठा है। इस केंद्र का संचालन कर रही समूह की अध्यक्ष हारबाई यादव बताती हैं कि गुणवत्ता पर सवाल तो नहीं उठा है पर सीट नहीं मिलने या देर तक इंतजार करने के कारण कई लोग नाराज होकर चले जाते हैं। बताया कि पूर्व में भी इसी परिसर में दाल भात केंद्र खोला गया था पर किसी कारण से वो बंद हो गया। दो ढाई माह पहले एक बार फिर से इनके समूह ने इसकी शुरुआत की है।
इस केंद्र के संचालन में दस महिलाएं लगी हुई हैं। उनका कहना है कि खाना बनाने से लेकर खाना परोसने तक का कार्य महिलाएं स्वयं करती हैं। हर दिन लगभग तीन सौ लोग यहां खाना खाते हैं।

बनाना पड़ा अतिरिक्त कमरा
कलेक्टोरेट परिसर में संचालित इस दाल-भात केंद्र के लिए शासन की ओर से जगह उपलब्ध करवाया गया है। लेकिन जब यहां लोगों की भीड़ लगने लगी तो ये जगह छोटा पड़ गया। ऐसे में महिला समूह ने अपने खाते के पैसे निकालकर बाहर में एक अतिरिक्त कमरा बनवाया है जहां खाने की टेबल कुर्सी, पर्दे व टाइल्स आदि लगाए गए हैं।

चावल की कर देते हैं प्रोसेसिंग
समूह की अध्यक्ष हारबाई ने बताया कि इस केंद्र के संचालन के लिए शासकीय रेट पर चावल आदि भी प्रदान किया जाता है। ऐसे में उनके समूह का अपना मिल है जहां महिलाएं इस चावल को अच्छे से साफ कर पॉलिश कर देती हैं इससे चावल भी अच्छा हो जाता है और खुशबू भी आ जाती है इसे लोग काफी पसंद करते हैं।

अब नहीं लाते हैं टिफिन
इस केंद्र के आसपास कई सरकारी दफ्तर हैं। या यूं कहें कि अधिकांश दफ्तर यहीं पर है। पास में कचहरी भी है। ऐसे में पूर्व में यहां कार्यरत कर्मचारी अपने घर से टिफिन लेकर आया करते थे। पर इस केंद्र के संचालन के बाद उन लोगों ने घर से टिफिन लाना बंद कर दिया है। वो यहीं आकर दोपहर का भोजन ग्रहण करते हैं।

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