इस दौरान बच्चे, युवतियां, महिलाओं ने भोजली सिर पर उठाकर भोजली को गंगा माईया में विसर्जन किया गया। एक-दूसरे को भोजली भेंटकर दोस्ती का परिचय दिया। भोजली को छत्तीसगढ़ के मित्रता दिवस व लोक पर्व भी कहा जाता है। बुधवारी में आयोजित कार्यक्रम में ऑर्केस्ट्रा का आयोजन भी किया गया था।
हाथियों के झुंड को जंगल की ओर जाते देख रहे थे ग्रामीण, इतने में पीछे से आ गया दंतैल, फिर जानिए क्या हुआ… छत्तीसगढ़ की वेशभूषा में लोकनृत्य सहित रंगारंग कार्यक्रम हुए। भोजली पर्व (Bhojali Festival) को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला। दोपहर 12 बजे आयोजन शुरू हो गया था। बच्चे, महिलायें, बुजुर्ग आदि ने छत्तीसगढ़ की परिधान में सिर पर भोजली रखकर ढोल, मंजीरा व गाजे-बाजे की गूंज के साथ गली-मोहल्ले का भ्रमण किया। गीत व भजनों के साथ भोजली मईया की पूजा-अर्चना की गई। ढेंगूरनाला तट पर विसर्जन किया गया।
स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में बदलाव, छात्र बदले हुए सिलेबस से पूरी करेंगे पढ़ाई भोजली विसर्जन (Bhojali Immersion) के बाद बच्चे, युवक, युवतियों ने एक-दूसरे को भोजली भेंटकर आशीर्वाद लिया। अपने मितान को भोजली भेंट कर एक-दूसरे के प्रति प्रेम व्यक्त किया। दोस्ती हमेशा निभाने का वादा किया। जगह-जगह प्रसाद बाटें गए। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में भीड़ देखने को मिली। इसके अलावा विभिन्न स्थानों पर भोजली विसर्जन (Bhojali Immersion) किया गया। इसी तरह छुरी, करतला, कटघोरा, तरदा सहित नगरीय व उपनगरीय एवं ग्रामीणों में क्षेत्रों में परंपरागत भोजली त्योहार (Bhojali Festival) में ग्राम के सभी वर्गों ने भाग लिया।
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