script

VIDEO : भोजली त्योहार की चारों ओर बिखरी खुशियां, भोजली भेंटकर दोस्ती का दिया संदेश

locationकोरबाPublished: Aug 17, 2019 06:42:05 pm

Submitted by:

Vasudev Yadav

Bhojali Festival : बच्चे, युवतियां, महिलाओं ने भोजली सिर पर उठाकर भोजली को गंगा माईया में विसर्जन किया गया।

कोरबा. छत्तीसगढ़ की लोकप्रिय पारंपरिक त्योहार भोजली (Bhojali Festival) हर्षोल्लास और पूरे उत्साह से शुक्रवार को मनाया गया। छत्तीसगढ़ी महिला क्रांति सेना द्वारा वार्ड क्रमांक 21, बुधवारी के गणेश पंडाल दशहरा मैदान में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया।  इस दौरान बच्चे, युवतियां, महिलाओं ने भोजली सिर पर उठाकर भोजली को गंगा माईया में विसर्जन किया गया। एक-दूसरे को भोजली भेंटकर दोस्ती का परिचय दिया। भोजली को छत्तीसगढ़ के मित्रता दिवस व लोक पर्व भी कहा जाता है। बुधवारी में आयोजित कार्यक्रम में ऑर्केस्ट्रा का आयोजन भी किया गया था।छत्तीसगढ़ की वेशभूषा में लोकनृत्य सहित रंगारंग कार्यक्रम हुए। भोजली पर्व (Bhojali Festival) को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला। दोपहर 12 बजे आयोजन शुरू हो गया था। बच्चे, महिलायें, बुजुर्ग आदि ने छत्तीसगढ़ की परिधान में सिर पर भोजली रखकर ढोल, मंजीरा व गाजे-बाजे की गूंज के साथ गली-मोहल्ले का भ्रमण किया। गीत व भजनों के साथ भोजली मईया की पूजा-अर्चना की गई। ढेंगूरनाला तट पर विसर्जन किया गया।

VIDEO : भोजली त्योहार की चारों ओर बिखरी खुशियां, भोजली भेंटकर दोस्ती का दिया संदेश

कोरबा. छत्तीसगढ़ की लोकप्रिय पारंपरिक त्योहार भोजली (Bhojali Festival) हर्षोल्लास और पूरे उत्साह से शुक्रवार को मनाया गया। छत्तीसगढ़ी महिला क्रांति सेना द्वारा वार्ड क्रमांक 21, बुधवारी के गणेश पंडाल दशहरा मैदान में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस दौरान बच्चे, युवतियां, महिलाओं ने भोजली सिर पर उठाकर भोजली को गंगा माईया में विसर्जन किया गया। एक-दूसरे को भोजली भेंटकर दोस्ती का परिचय दिया। भोजली को छत्तीसगढ़ के मित्रता दिवस व लोक पर्व भी कहा जाता है। बुधवारी में आयोजित कार्यक्रम में ऑर्केस्ट्रा का आयोजन भी किया गया था।छत्तीसगढ़ की वेशभूषा में लोकनृत्य सहित रंगारंग कार्यक्रम हुए। भोजली पर्व (Bhojali Festival) को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला। दोपहर 12 बजे आयोजन शुरू हो गया था। बच्चे, महिलायें, बुजुर्ग आदि ने छत्तीसगढ़ की परिधान में सिर पर भोजली रखकर ढोल, मंजीरा व गाजे-बाजे की गूंज के साथ गली-मोहल्ले का भ्रमण किया। गीत व भजनों के साथ भोजली मईया की पूजा-अर्चना की गई। ढेंगूरनाला तट पर विसर्जन किया गया।