20 दिसंबर को कांजी हाउस बंद कर गायों को छोड़ दिया गया था
20 दिसंबर को कांजीहाउस बंद कर डेढ़ सौ गायों को खुले में छोड़ दिया गया था। कांजीहाउस संचालक के खिलाफ आरोप यही तय किया गया है कि उसने गायों को खुले मेें छोडऩे के बजाए गौठान मेंं क्यों नहीं दिया। १९ दिन से गाय बाहर घूम रही थी। इसी बीच उनकी मौत हो गई। इस मामले में गांव के सरपंच के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जबकि कांजी हाउस उनके ही ग्राम पंचायत द्वारा संचालित था। सरपंच की भी जिम्मेदारी थी कि इसकी सूचना प्रशासन को दे।
पीएम रिपोर्ट कह रही विषाक्त खाने से हुई, जबकि 20 दिन से भूखी थी गाय
पीएम रिपोर्ट कह रही है कि गायों की मौत विषाक्त खाने से हुई है, जबकि गाय २० दिन से भूखे थे। उनको पर्याप्त चारा नहीं मिल रहा था। जिस जगह पर उनको मृत पाया गया वह बंजर जमीन थी। ऐसे में कई सवाल उठ रहे हैं। अब पशु विभाग गायों के बिसरा को जांच के लिए भेजा गया है। यहां से रिपोर्ट आने के बाद स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
सीएम प्रवास से ठीक पहले रिपोर्ट की पेश
मंगलवार को सीएम कोरबा प्रवास पर थे। हालांकि बाद में उनका दौरा निरस्त हो गया, लेकिन सीएम प्रवास के ठीक एक दिन पहले प्रशासन द्वारा अपनी रिपोर्ट तैयार कर पाली थाने को आनन-फानन में दी गई। देर रात पुलिस ने कांजी हाउस संचालक के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।
जिस योजना पर पूरी सरकार की नजर, उस पर नजर रखने का समय ही नहीं
जिस योजना पर पूरी सरकार की नजर है, उस पर नजर रखने के लिए अधिकारियों के पास समय ही नहीं है। देखा जाए तो इस मामले मेें ग्राम पंचायत, सचिव, वन प्रबंधन समिति, पटवारी, नायब तहसलीदार से लेकर पशु विभाग की भी लापरवाही है। इतनी अधिक संख्या में गाय बिना किसी व्यवस्था के कांजी हाउस में थी। इस पर किसी भी जिम्मेदार ने ध्यान नहीं दिया। किस कांजी हाउस में कितनी गाय व किस स्थिति में है इसकी जानकारी अफसरों को होती ही नहीं है। अब जब मामला सामने आया है तो लीपापोती करते हुए कांजीहाउस संचालक पर ठींकरा फोड़ दिया गया है।