तो मतदान करने नहीं आएंगे ग्रामीण
यह बात अब एकदम स्पष्ट हो चुकी है। प्रशासन और वन विभाग के पास हाथियों की लोकेशन ट्रेस करने के अलावा और कोई भी स्थायी समाधान नहीं है। जबकि यह बात सर्वविदित है कि जिस क्षेत्र में हाथियों की मूवमेंट शुरू होती है। उस क्षेत्र के ग्रामीण घर में दुबके रहते हैं। दिन के समय भी वह घने जंगल में सड़कों पर चलना मुनासिब नहीं समझते। इन परिस्थतियों में यदि मतदान होता है, तो यह कहना गलत होगा कि ग्रामीण वोट डालने घरों से बाहर निकलेंगे।सीधी बात
सवाल : हाथियों के प्रभाव वाले कितने मतदान केंद्र हैं?
जवाब : कोरबा वनमंडल के सभी रेंज में हाथियों का आना जाना लगा रहता है। इसलिए किसी केंद्र को विशेष तौर पर चिह्नांकित नहीं किया गया है। केंद्रों की विस्तृत जानकारी राजस्व विभाग के पास रहती है।
सवाल : हाथी मतदान केंद्र तक नहीं पहुंच सकें, इसके लिए क्या तैयारी?
जवाब : 24 घंटे हमारी नजर हाथियों पर रहती है। उनकी लोकेशन की जानकारी के साथ ही वो कहां से आए और कहां जाएंगे, इसकी निगरानी की व्यवस्था है। मतदान वाले हाथी किसी तरह का कोई प्रभाव नहीं डालेंगे, इसकी गारंटी हम लेते हैं।
सवाल : हाथियों को खदेडऩे या मतदान दल से दूर रखने के लिए किसी तरह की हुल्ला पार्टी या अन्य विशेष टीम का गठन किया गया है?
जवाब : हाथी दिन के समय कभी भी गांव के करीब नहीं जाते। हमारा जमीनी अमला पूरी तरह से प्रशिक्षित है। इसलिए बाहर से किसी को नहीं बुलाया गया है। प्रत्येक रेंज में हाथी मित्र दल का भी गठन किया गया है।