यात्रा प्रारंभ होने के पहले आधी रात को मोबाईल पर मैसेज भेजा गया। जिसमें तीन अलग-अलग बोगी में १२ सीट नंबर भेजे गए। यात्रियों ने जब मैनेजर से पूछा कि १३ लोगों के लिए १२ सीटें मिली हैं। वह भी एक साथ नहीं है। तो जवाब मिला कि एक सीट नहीं मिली है आपको एडजस्ट करना पड़ेगा। परिवार में कुछ वृद्ध भी थे इसलिए यह तय हुआ कि बिलासपुर से सीट मिल जाएगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके बाद १३ लोगों के लिए १२ सीट टे्रन क्रमांक १२५४९ दुर्ग से जम्मूतवी में दिया गया। सेवा की शर्तों के अनुसार बताया गया था कि यात्रा शुरू होते ही प्रत्येक यात्री को पानी की चार-चार बोतलें दी जाएगी। १३ लोगों की बुकिंग के अनुसार ५६ बोतल दी जानी थी लेकिन ३६ बोतल पानी ही दिया गया। वह भी रात के आठ बजे।
यात्रा के दौरान भी परेशानी
यात्रा शुरू होने के बाद दूसरे चरण में तीर्थयात्री ४ मई को रात ९:२५ बजे टे्रन नंबर १९२६६ से जम्मूतवी से अमृतसर के लिए रवाना हुए। वह रात के दो बजे अमृतसर पहुंचे। यहां रात्रि तीन बजे तक रेलवे स्टेशन पर बस खराब हो गई है ऐसा बहाना बनाकर रोका गया। इसके बाद जिस लॉज में रुकवाया गया, वह बेहद खराब सुविधा थी। जहां पानी व शौचालय भी बहुत गंदे, भोजन की व्यवस्था भी घटिया थी। इसके बाद उत्कल एक्सप्रेस से हरिद्वार से मथुरा जाते समय इस ट्रेन में १३ लोगों के लिए अब केवल आठ ही बर्थ मौजूद थे।