विभागों में बैठे हेड क्लर्क जो कि डीडीओ का काम संभाल रहे हैं। इतने अधिक लापरवाहीपूर्वक काम कर रहे हैं कि सैकड़ों कर्मचारियों के रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि ही गोलमोल हो रही थी। दरअसल हर महीने कर्मचारी के खाते से एक निश्चित राशि जीपीएफ खाते में जमा होती है।
अगर किसी कर्मचारी का जीपीएफ खाता दस्तावेजों में गलत दर्ज कर भेज दिया गया है। तो वह राशि कर्मचारी के जीपीएफ खाते की बजाय महालेखाकार के एक अलग खाते में जमा होती रहती है। सैकड़ों कर्मचारियों का कई साल से पैसा उनके खाते में जमा ही नहीं हो रहा था। जब कई कर्मचारियों ने इसकी पड़ताल की तो उनके खाते में बहुत कम राशि दिखी। इसकी शिकायत की गई। ऐसे लगभग सैकड़ों मामले सामने आ गए। विभाग ने जब ऐसे ट्रांजेक्शन की जांच कराई तो १७ हजार ट्रांजेक्शन गलत पाए गए। कोषालय विभाग ने सभी १७ हजार ट्रांजेक्शन की रकम १.७२ करोड़ को अब वापस से कर्मचारियों के सही खाते में जमा कराया है।
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दस्तावेजों पर आंख मूंद कर हस्ताक्षर करते हैं डीडीओ बने अफसर
अलग-अलग विभागों के डीडीओ द्वारा कर्मचारियों के जीपीएफ फंड से लेकर पेंशन की फाइल तक को वरिष्ठ अफसर आंखे मूंद कर हस्ताक्षर कर रहे हैं। फाइलों की तस्दीक तक नहीं की जाती है। कई डीडीओ तो ऐसे थे जो कि रिटायरमेंट तक हो चुके हैं। उन जगहों पर पुरानी रिकार्ड खोजने में काफी परेशान होनेा पड़ा था। सबसे अधिक गड़बड़ी शिक्षकों व विभिन्न विभागों के सहायक गे्रड तीन के साथ इस तरह की गड़बड़ी हुई है।
–हर महीने कर्मचारियों के खाते से कट कर राशि उनके भविष्य निधि के खातों में जमा होता है, लेकिन डीडीओ द्वारा गलत खाते नंबर देने की वजह से राशि जमा नहीं हो रही थी। ऐसे १७ हजार गलत ट्रांजेक्शन की राशि को विभाग ने मूल खातों में समायोजन कराया गया है। जीएस जागृति, जिला कोषालय अधिकारी कोरबा