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CG Unique Story : विधानसभा व लोकसभा में गूंजता रहा ऐलीफेंट कॉरीडोर का मामला, नेताओं की बयानबाजी के बीच भटकते रहे हाथी

locationकोरबाPublished: Apr 03, 2019 06:03:05 pm

Submitted by:

Vasudev Yadav

– कभी सरकार बदल गई तो कभी मौजूदा सरकारों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया

CG Unique Story : विधानसभा व लोकसभा में गूंजता रहा ऐलीफेंट कॉरीडोर का मामला, नेताओं की बयानबाजी के बीच भटकते रहे हाथी

CG Unique Story : विधानसभा व लोकसभा में गूंजता रहा ऐलीफेंट कॉरीडोर का मामला, नेताओं की बयानबाजी के बीच भटकते रहे हाथी

कोरबा. पिछले 15 साल में कोरबा वनमंडल के 60 से ज्यादा गांव में हाथियों ने कोहराम मचाया है। 61 लोगों को अब तक मौत के घाट उतार दिया है। लगातार घटनाएं बढ़ रही है, पर रोकथाम के उपाय अब तक कारगर साबित नहीं हुए। लोकसभा चुनाव में हाथी इस क्षेत्र के लिए अहम समस्या है।
आलम यह है कि हाथी हमले और हाथियों पर हमले को लेकर विधानसभा और लोकसभा तो गूंजा पर हाथियों के लिए कॉरीडोर केवल बयानों में ही बन सका। यथार्थ में कोरबा लोकसभा क्षेत्र से ऐलीफेंट कॉरीडोर का मुद्दा केवल सियासी नफा और नुकसान का ही विषय बन सका है। पिछले १४ साल से मंत्रालयों के बीच घूमती फाइल और नेताओं की बयानबाजी के बीच ऐलीफेंट कॉरीडोर एक यक्ष प्रश्न बन गया है। दूसरी ओर धरातल पर लगातार हाथियों की आमद बढ़ी। हर साल हमले भी बढ़े और लोगों की जान भी गई।
कोरबा जिले की बड़ी मांग है, ऐलीफेंट कॉरीडोर। हाथियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पड़ोसी जिले रायगढ़, अंबिकापुर, कोरिया से हाथी सरहदी गांव में उत्पात मचाते हुए एक कोने से दूसरे कोने तक तहस-नहस करते रहे हंैं। अब तक दायरा गांव तक सीमित था। लेकिन अब तो शहर के बीचोंबीज हाथियों के आने से शहरवासी भी परेशान है। हाथियों को एक निश्चित क्षेत्र में रोकने और रहवास के उद्देश्य से लेमरू व कुदमुरा वन परिक्षेत्र में ४००- ५०० वर्ग किलामीटर में अभ्यारण्य विकसित करने का निर्णय लिया गया था।
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इसके लिए वन मंडल कोरबा ने राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा था। २००५ में विधानसभा ने कोरबा समेत सरगुजा, जशपुर व रायगढ़ मेें एलीफेंट रिजर्व हेतु संकल्प पारित कर इसे मंजूरी के लिए केन्द्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया। केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने २००७ में प्रोजेक्ट को हरी झण्डी दिखाई थी। २०१० तक राज्य सरकार को इसका क्रियान्वयन करना था।
इस बीच अभ्यारण्य के लिए चिन्हांकित क्षेत्र में एक निजी कंपनी को २५५१.४७६ हेक्टेयर क्षेत्रफल में कोल ब्लॉक का आवंटन कर दिया गया। इसके बाद अभ्यारण्य का दायरा कम किया फिर पूरे प्रोजेक्ट को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में लेमरू में हाथी अभ्यारण को शामिल किया गया था।
अभ्यारण की मांग और हाथियों के हमले को लेकर हर किसी ने आवाज उठाई। डॉ. चरणदास महंत जब केन्द्रीय राज्य मंत्री थे। तब उन्होंने इसके लिए प्रयास किया था। इसके बाद रामपुर विधायक ननकीराम कंवर, पूर्व विधायक श्यामलाल कंवर, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, सांसद डॉ. बंशीलाल महतो ने अपने-अपने स्तर पर मामला उठाया। लेकिन कभी सरकार बदल गई तो कभी मौजूदा सरकारों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
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