औसत बिजली बिल का खेल
विद्युत विभाग ने मीटर रीडिंग का काम ठेका कंपनी को दिया गया है, लेकिन कर्मचारी नियमित रूप से हर माह मीटर की रीडिंग लेने नहीं पहुंच रहे। इसके एवज में औसत रीडिंग के नाम पर भी मनमाना रीडिंग डालकर बिल थमाया जा रहा है। इससे उपभोक्ताओं खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसमें भी दो से तीन माह या इससे भी अधिक समय बाद बिजली बिल दिए जा रहे हैं।
विद्युत विभाग के द्वारा वर्तमान में एक मिस कॉल पर तीन दिनों के भीतर विद्युत मीटर लगाने अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन यह दावे भी फेल हो रहे हैं। क्योंकि पुराने मीटर खराब हो रहे हैं। उपभोक्ताओं को पुराने मीटर बदलाने के लिए ही विभाग के कई चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। और उपभोक्ताओं को मीटर नहीं मिल रही है।
एक साल के भीतर १४ हजार से अधिक मीटर खराब हुए हैं। इसमें से अभी तक आठ हजार उपभोक्ताओं की शिकायत हल हो सकी है, लेकिन छह हजार से अधिक उपभोक्ताओं शिकायत अभी तक हल नहीं हो सकी है। इस प्रक्रिया अभी तीन से चार माह और लगेंगे। तब तक अन्य उपभोक्ताओं की शिकायत वेटिंग सूची पर चढ़ जाएगी।
दफ्तर, व्यवसायिक प्रतिष्ठान व घरों में लगी विद्युत मीटर के कुछ माह में खराब होने से इसकी गुणवत्ता पर भी सवाल उठने लगा है। उपभोक्ताओं का कहना है कि जब कंपनी पांच साल का दावा कर रह है, तो कुछ साल तो चलने चाहिए, लेकिन यह तो एक साल के भीतर ही खराब हो रहे हैं और मीटर में गड़बड़ी सामने आ रही है। इसके लिए उपभोक्ताओं को दफ्तर के कई चक्कर काटने पड़ रहे हैं।