मामला एसईसीएल कोरबा क्षेत्र के अधीन स्थित मानिकपुर परियोजना का है। परियोजना के ओवर बर्डन एरिया में एसईसीएल का मैगजीन (बारुद घर) स्थित है। 13 अक्टूबर 2016 को एसईसीएल ने ओवर बर्डन एरिया में 57 पेड़ों की कटाई कराई थी। इसमें एक इमारती और 56 गैर इमारती पेड़ थे।
लेकिन इसकी अनुमति प्रशासन से नहीं ली गई थी। अवैध कटाई की जानकारी वन संरक्षक
रायपुर को दी गई थी। इसके बाद वन विभाग हरकत में आया और कोरबा वन मंडल की एक टीम ने ओवर बर्डन एरिया का निरीक्षण किया था। काटे गए पेड़ों की गिनती कर जब्त कर लिया था।
एसईसीएल मानिकपुर को नोटिस देकर अनुमति आदेश दिखाने को कहा था। छानबीन में वन विभाग ने पेड़ों की कटाई राजस्व भूमि से होना बताया था। इसकी रिपोर्ट बनाकर राजस्व विभाग को सौंप दिया था। तहसीलदार कोर्ट में केस हारने के बाद एसईसीएल ने कलेक्टर कोर्ट में अपील की थी।
निचली अदालत के फैसले को ऊपरी कोर्ट में चुनौती दी थी। इसकी सुनवाई चल रही थी। कलेक्टर कोर्ट ने तहसीलदार कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। एसईसीएल पर प्रति पेड़ 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। प्रबंधन को 14 लाख रुपए जमा करने का आदेश किया है।
कोर्ट ने फैसले में कहा है कि जिस स्थान पर पेड़ की कटाई हुई है, वह मानिकपुर परियोजना के लिए अधिग्र्रहित है। ओवर बर्डन क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण का
कार्य एसईसीएल ने ठेकेदार के जरिए कराया है। अवैध पेड़ कटाई की राशि ठेकेदार से वसूल कर सरकारी खजाने में जमा कराई जाए।
कोर्ट में एसईसीएल ने दी दलील
कलेक्टर कोर्ट में सुनवाई के दौरान एसईसीएल के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अधिग्रहित भूमि राजस्व भूमि है। वन विभाग की जमीन नहीं है।
ओवर बर्डन क्षेत्र में मैगजीन तक पहुंचने के लिए सड़क चौड़ीकरण का कार्य ठेकेदार के जरिए कराया गया था। अत: पेड़ की अवैध कटाई की राशि की वसूली ठेकेदार से की जाए। कोर्ट ने एसईसीएल मानिकपुर परियोजना को आदेश दिया है कि ठेकेदार से 14 लाख रुपए की वसूल कर सरकारी खजाने में जमा कराई जाए।
इन पेड़ों की हुई थी कटाई
सड़क चौड़ीकरण के नाम पर एसईसीएल ने 57 पेड़ों की कटाई कराई थी। इसमें एक नीलगिरी, करंज और नीम के पेड़ शामिल थे। छानबीन के दौरान एसईसीएल के अफसरों ने वन विभाग को डोजर मशीन से पेड़ों को दबना बताया था। लेकिन वन विभाग की जांच में खुलासा हुआ था कि पेड़ों को डोजर से नहीं दबाया गया है, बल्कि अवैध तरीके से कटाई कराई गई है।