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पाली-तानाखार में अब प्रत्याशी खोज रही कांग्रेस, गोंगपा के गठबंधन ना होता देख तलाशे जा रहे संभावित दावेदार

locationकोरबाPublished: Oct 16, 2018 09:16:45 pm

Submitted by:

JYANT KUMAR SINGH

पाली तानाखार विधानसभा अब तक कांग्रेस का गढ़ रहा है। उइके के भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस के लिए प्रत्याशी चयन करना अब नई चुनौती बन गई है।

पाली-तानाखार में अब प्रत्याशी खोज रही कांग्रेस, गोंगपा के गठबंधन ना होता देख तलाशे जा रहे संभावित दावेदार

पाली-तानाखार में अब प्रत्याशी खोज रही कांग्रेस, गोंगपा के गठबंधन ना होता देख तलाशे जा रहे संभावित दावेदार

कोरबा. उइके के भाजपा प्रवेश और गोंगपा से गठबंधन ना होता देख अब कांग्रेस पाली तानाखार से प्रत्याशी की तलाश में लग गई है। कांग्रेस दावा कर रही है कि उसके पास चेहरे की कमी नहीं है। लेकिन सच यह भी है कि १५ साल से कांग्रेस के विधायक उइके की मौजूदगी की वजह से सेकेंड लाइन वाले नेता कभी उभर नहीं सके।
पाली तानाखार विधानसभा अब तक कांग्रेस का गढ़ रहा है। उइके के भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस के लिए प्रत्याशी चयन करना अब नई चुनौती बन गई है। दरअसल अब तक रामदयाल उइके ही एक मात्र चेहरा कांग्रेस के पास था। पर्यवेक्षक के सामने भी उइके ने अपनी ताकत दिखाई थी। दूसरी ओर बिना दावेदारी फार्म जमा किए किरण कुजूर अपने समर्थकों के साथ उइके के खिलाफ जमकर नारेबाजी करने नजर आए थे। उइके के भाजपा प्रवेश के बाद यह अटकलें लगाई जा रही थी अब गोंंगपा और कांंग्रेस का गठबंधन पक्का है।
सूत्र बता रहे हैं कि लेकिन गोंगपा से गठबंधन को लेकर किसी प्रकार का नतीजा अब सामने नहीं आता देख आलाकमान ने प्रत्याशी को लेकर गुप्त तौर पर तैयारी शुरू करने के निर्देश दिए हैं। कांग्रेस के पास आदिवासी नेता बोधराम कंवर, दारासिंह मरकाम, किरण कुजूर के चेहरे हैं। बोधराम कंवर अपनी पंरपरागत सीट कटघोरा से नहीं लडऩे की बजाएं अपने पुत्र पुरुषोत्तम कंवर को चुनाव लड़वाने की पेशकश कर चुके हैं। बोधराम कंवर दो बार पाली तानाखार से भी चुनाव लड़ चुके हैं जिसमें उन्हें जीत भी मिली थी। दारासिंह मरकाम १९९० के चुनाव में काफी कम अंतर से हारे थे। वहीं जिला पंचायत सदस्य किरण कुजूर महिला प्रत्याशी के तौर पर सामने हैं।

छाप का असर, नाम नहीं रखता मायने
कांग्रेसियों का मानना है कि पाली तानाखार विधानसभा में छाप का असर प्रत्याशी की तुलना में अधिक है। कांग्रेस के पंरपरागत वोटर प्रत्याशी के बजाएं छाप के आधार पर वोट देते हैं। ठीक चुनाव के पहले उइके के भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस के लिए पाली तानाखार बड़ी सीट बन चुकी है। कांग्रेस पिछले तीन चुनाव के वोटों का समीकरण भी देख रही है। किसी क्षेत्र से वोट ज्यादा मिले हैं। इस विधानसभा में दो ब्लॉक आते हैं पाली और पोड़ीउपरोड़ा। पाली जहां उइके का गढ़ है जबकि पोड़ीउपरोड़ा में उइके पिछड़ते हैं।

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