खदानों के आसपास खाली पड़ी जमीन का उपयोग अब विंड और सोलर प्रोजेक्ट के लिए प्रबंधन करने जा रहा है। एनएचपीसी, एनटीपीसी और एमबीपीसीएल क्रमश: एक-एक प्रोजेक्ट पर काम शुरु कर चुके हैं। प्रदेश के उत्पादन कंपनी से अभी करीब 28 सौ मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। शेष बिजली सेंट्रल सेक्टर से ली जा रही है।
पीक अवधि में प्रदेश में रहेगी पर्याप्त बिजली
पीक अवधि में वर्तमान में प्रदेश में बिजली की डिमांड औसत पांच हजार से 55 सौ मेगावाट बिजली आ रही है। आने वाले तीन वर्षों में इसके 7 हजार के पार जाने की संभावना है। उस स्थिति में विंड एनर्जी और सोलर एनर्जी से मिलने वाली बिजली से भरपाई हो जाएगी। बिजली के लिए किसी तरह की समस्या प्रदेश में नहीं आएगी।
इन जगहों पर तैयार हो रहे प्लांट
सोलर एनर्जी पॉवर कार्पोरेशन द्वारा डोंगरगढ़ में सौ मेगावाट की क्षमता वाले प्लांट पर काम किया जा रहा है। जो कि अंतिम चरण पर है। इसपर करीब पांच सौ करोड़ की लागत आएगी। एसईसीएल द्वारा विश्रामपुर, भटगांव में 150 करोड़ की लागत से प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया है। इसी तरह कुसमुंडा, गेवरा व दीपका में भी प्रोजेक्ट प्रस्तावित है।
एनएचपीसी से सिर्फ 2.62 पैसे की दर से मिलेगी बिजली
नेशनल हाइड्रो पॉवर कार्पोरेशन से हुए एग्रीमेंट के हिसाब से चार सौ मेगावाट की बिजली प्रदेश को मिलेगी। प्रदेश सरकार 2 रुपए 62 पैसे के हिसाब से बिजली खरीदेगी। यहां से बिजली आने वाले एक से डेढ़ वर्ष में मिलना प्रारंभ हो जाएगी।
प्रदेश में लगने जा रहे संयंत्र पर एक नजर
प्रोजेक्ट क्षमता कमिशनिंग तिथि
एसईसीएल विंड 300 22-05-2022
एसईसीएल हाइब्रिड 400 01-11-2023
एसईसीएल सोलर 100 01-04-2023
एनएचपीसी सोलर 400 01-06-2023
एसईसीएल हाइब्रिड 400 01-01-2023
एसईसीएल विंड 170 01-08-2022
एमबीपीसीएल 113 01-10-2023
एसईसीएल सोलर 300 01-10-2023
एनटीपीसी सोलर 90 01-06-2022
खदानों और रेलवे लाइन की बिजली के लिए अलग से प्रोजेक्ट
वर्तमान में साल भर में करीब छह सौ से सात सौ मेगावाट बिजली रेलवे स्टेशन , रेलवे लाइन और प्रदेश में संंचालित खदानों में खपत होता है। अब इन दोनों ही जगहों के लिए भी सोलर एनर्जी से बिजली दी जाएगी। विशेषकर गर्मी के दिनों में जब मांग अधिक रहती है तब इन्हें दूसरे विकल्प से बिजली दी जाएगी। रेलवे लाइन और स्टेशन में कुल 440.2 मेगावाट की बिजली की खपत होगी। जबकि खदानों में 212.98 मेगावाट बिजली की खपत के लिए तैयारी शुरु की जा रही है।
प्रारंभिक चरण में विश्रामपुर-भंटगांव में चिंहित जमीन पर काम शुरु हो चुका है। इसके दूसरे चरण में अन्य खदानों के आसपास खाली पड़ी जमीन का उपयोग इन योजनाओं के लिए किया जाएगा।
- सनिष चन्द्र, जनसंपर्क अधिकारी, एसईसीएल