रजगामार के आसपास घना रहवासी क्षेत्र है इसलिए दंतैल के केराकछार पहुंचने के बाद वन विभाग ने पूरे 30 घंटे से अधिक समय तक काफी सक्रियता बरती। जिस जंगल में दंतैल था। उसके आसपास जंगल के रास्ते से गुजरने वाले ग्रामीणों को रोका गया। यहां तक कि रात के समय मुख्य मार्ग से आने जाने वालों को भी मनाही की गई। वन विभाग (Forest Department) को संभावना थी कि दंतैल या तो बालको की ओर बढ़ेगा। कोरबा या फिर वापस कोरकोमा की ओर जा सकता है। Korba a Elephant News
रात दो बजे मकान टूटने की आवाज से जागी महिला, तीन माह की बच्ची को गोद में लेकर बाहर निकलते ही हाथी से हुआ सामना, फिर ये हुआ… इस तीनों ही क्षेत्र में पडऩे वाले गांव मेें पहले से ही मुनादी करा दी गई थी। दंतैल यहां से रात को निकलकर कोरकोमा की ओर निकला। कोरकोमा से ठीक पहले सड़क किनारे एक छोटा सा मंदिर है। इसे तोडऩे के बाद जंगल के रास्ते से गेंराव व बताती के जंगल जा पहुंचा। रास्ते में एक बाड़ी के कच्ची दीवार को भी दंतैल ने नुकसान पहुंचाया।
11 हाथी दोंदरों जंगल में
इधर बालको रेंज के दोंदरों से लगे नवाडीह जंगल में 11 हाथी (Elephant) पिछले कुछ दिनों से जमे हुए हैं। हालांकि ये झुंड उत्पात नहीं मचा रहा है। उधर 40 हाथियों का झुंड एतमानगर रेंज में है। कोरबा में कुल 52 हाथी (Elephant) अलग-अलग रेंज मेें है। वन विभाग (Forest Department) द्वारा इन पर निगरानी रखी जा रही है।
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