पहले चरण में सात विद्याथियों ने प्रवेश लिया। 143 सीटें खाली रह गई। प्रबंधन को उम्मीद थी कि दूसरे चरण की काउंसलिंग में कुछ विद्यार्थी मिल जाए। लेकिन प्रबंधन की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। इसकी वजह दूसरे चरण की काउंसलिंग में देरी होना है।
अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण में कटौती किए जाने के बाद प्रदेश सरकार ने उच्च शिक्षा में होने वाले दाखिले और सरकारी नौकरी को लेकर विभिन्न विभागों में चल रही भर्ती प्रक्रिया को रोक दिया है। इसका असर कोरबा के इंजीनियरिंग कॉलेज सहित प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों पर पड़ा है। कॉलेज में प्रवेश के लिए दूसरे राउंड की प्रक्रिया शुरू नहीं हो रही है।
इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई हो रही प्रभावित
सत्र बर्बाद होने के कगार पर कोरोनाकाल में पहले से शिक्षा व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है। नाम मात्र की बोर्ड परीक्षा और होम एग्जाम से शिक्षा का स्तर कमजोर हुआ है। चालू शिक्षा सत्र में उच्च शिक्षा के लिए दाखिला का इंतजार भी विद्याथियों में खत्म नहीं हुआ था। अब छात्रों को सत्र बर्बाद होने की आशंका सता रही है।
कॉलेज पर मंडरा रहा बंद होने का खतरा आईटी कॉलेज कोरबा में दाखिला लेने वाले विद्याथियों की संख्या लगातार कम हो रही है। इसका सीधा असर कॉलेज की वित्तीय स्थिति पर पड़ रहा है। छात्र कम होने से कॉलेज की माली हालत खराब हो गई है। प्रोफेसर या अस्सिटेंट प्रोफेसर के अलावा अन्य स्टॉफ को वेतन भुगतान के लिए फंड की कमी पड़ने लगी है।
विकासखंड कोरबा अंतर्गत ग्राम मुढूनारा प्राथमिक विद्यालय से शिक्षिका को हटाने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि मुढूनारा स्कूल में लगभग 10 साल से शिक्षिका पुष्पा कमल कंवर कार्यरत हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि शिक्षिका नियमित तौर पर स्कूल नहीं आती हैं। तय समय के अनुसार गांव के स्कूल में पढ़ाई नहीं कराती हैं। अलग अलग कारण बनाकर स्कूल से चली जाती हैं। स्कूल में ताला लगा देती हैं। इससे गांव के बच्चे पढ़ नहीं सक रहे हैं। ग्रामीणों ने शिक्षिका को स्थानांतरिक करने की मांग की थी। कार्रवाई नहीं होने पर शिक्षिका का बहिष्कार कर दिया है। गुरुवार को शिक्षिका ने गांव के स्कूल में आंगन बाड़ी से कुछ बच्चों को लाकर बैठाया था।