जिले में सिंचित क्षेत्र का दायरा नहीं बढ़ रहा
जिले में सिंचित क्ष्ेात्र का दायरा नहीं बढ़ रहा है। २०१५-१६ में सिंचित क्षेत्रफल ८७७६ हेक्टेयर था जबकि असिंचित क्षेत्रफल १३३१०५ हेक्टेयर था। वहीं २०१६-१७ में ८८२२ हेक्टेयर सिंचित व १२८५०७ हेक्टेयर असिंचित क्षेत्र था। २०१७-१८ में सिंचित दायरा बढ़कर ९१०७ हेक्टेयर हुआ जबकि अंसिचित १२५४८१ हेक्टेयर दायरा था। पिछले तीन साल में बहुत अधिक दायरा नहीं बढ़ा है।
150 करोड़ से अधिक का प्रोजेक्ट
इन तीनों की प्रोजेक्ट में लगभ डेढ़ सौ करोड़ रूपए की लागत आएगी। खारून व कटघोरा व्यपवर्तन योजना क्रमश: २२१७.४७ व ५६०७.६६ लाख की लागत आएगी। व्यपवर्तन योजना में लंबी नहर से पानी तक खेतों तक पहुंचाना है। तो वहीं रामपुर जलाशय योजना इनमें सबसे बड़ी योजना है। माना जा रहा है कि यह जिले का सबसे बड़ा जलाशय होगा। इसमेें लगभग ८५ करोड़ रूपए खर्च आएगा।
100 करोड़ की योजनाएं अब तक निर्माणाधीन
वर्तमान में जिले में आठ जलाशय की लागत लगभग ९० करोड़ रूपए व सात व्यपवर्तन योजना की लागत ५५ करोड़ रूपए है, कुल १९ लघु सिंचाई योजनाओं निर्माणाधीन है। इनमें कुछ को इस साल तक पूरा हो जाना चाहिए था। इनसे खरीफ फसल हेतु ९५१६ हेक्टेयर एवं रबी फसल के लिए ३७९ हेक्टेयर खेत सिंचित होंगे। हालांकि विभाग द्वारा अब तक १० एनीकट व दो स्टॉपडेम का निर्माण पूरा करा लिया गया है, लेकिन इससे उद्योगों को जल आपूर्ति व २३९ हेक्टेयर खेतों को पानी दिया जा रहा है। इसके आलावा ६७.७२ करोड़ के नौ के एनीकट व नौ करोड़ के स्टॉपडेम निर्माणाधीन है।