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पांच खाद कारखानों को पुनरुद्धार करने सरकार का निर्णय, कोरबा शामिल नहीं

locationकोरबाPublished: Mar 25, 2019 12:05:16 pm

Submitted by:

Shiv Singh

ऊर्जाधानी की फिर उपेक्षा : कोरबा और केन्द्र में पांच वर्षों तक इसे लेकर चलती रही राजनीति

ऊर्जाधानी की फिर उपेक्षा : कोरबा और केन्द्र में पांच वर्षों तक इसे लेकर चलती रही राजनीति

पांच खाद कारखानों को पुनरुद्धार करने सरकार का निर्णय, कोरबा शामिल नहीं

कोरबा. लोकसभा में किए गए सवाल के जवाब में केन्द्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने देश भर में बंद पड़ी जिन पांच इकाइयों के पुनरुद्धार किए जाने की जानकारी दी। उनमें कोरबा का नाम शामिल नहीं है। इससे यह बात पूरी तरह से साफ हो चुकी है कि भारत सरकार की कोरबा के दर्री स्थित बंद पड़े खाद कारखाने को शुरू करने की फिलहाल कोई मंशा नहीं है।
पिछले पाचं वर्षों से खाद कारखाना लगातार चर्च में है। दो बार केन्द्रीय मंत्री दर्री के उर्वरक संयंत्र का निरीक्षण कर चुके हैं। इसके बाद भी बात न बनती देख सांसद डॉ. बंशीलाल महतो ने पिछले दिनों लोकसभा में इसे लेकर फिर से प्रश्न पूछा। जवाब में विगत पांच फरवरी को केन्द्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने कहा कि वर्ष २००२ में भारत सरकार ने एफसीआईएल की कुल आठ इकाईयों को बंद करने का निर्णय लिया था। यह सभी इकाईयां कई कारणों से निरंतर घाटे में चल रही थी। बंद की गई इकाईयों में सरकार ने वर्तमान में पांच इकाइयों क्रमश: एफसीआईएल के सिंदरी(झारखंड), तलचर (ओडिशा), रामागुंडम (तेलंगाना), गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) और एचएफसीएल की बरौनी (बिहार) इकाइयों का पुनरुद्धार करने का निर्णय लिया है। इसलिए अब एफसीआईएल/एचएफसीएल की उपरोक्त यूनिटों के पुनरुद्धार की प्रगति देखने के बाद देश में यूरिया की गांव व आपूर्ति की कमी के आंकलन के आधार पर कोरबा, हल्दिया और दुर्गापुर इकाइयों के पुनरुद्धार पर निर्णय लिया जाएगा। इससे कोरबा की उम्मीदों को एक बार फिर झटका लगा है।

जहां पुनरुद्धार वहां संयुक्त उद्यमों का गठन
खाद कारखाने के लिए कोरबा में कोयला और पानी जैसे संसाधानों की उपलब्धता और अनुकूल परिस्थियों के बावजूद, उपेक्षा समझ के परे हैं। जहां पुनरुद्धार कार्यक्रम शुरू किया गया वहां काम शुरू कर दिया गया है। १.२७ एमएमटीपीए क्षमता वाले प्रत्येक गैस आधारित उर्वरक संयंत्रों को स्थापित करने के लिए नेशनल थर्मल पावर कारपोरेश (एनटीपीसी), कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) और फर्टिलाईजर कार्पोरेशन इंडिया लिमिटेड/ङ्क्षहदुस्तान फर्टिलाइजर कार्पोरेशन लिमिटेड का उद्यम बनाकर नामांकन माध्यम द्वारा गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी इकाइयों का पुनरुद्धार किया जा रहा है। सभी को मिलाकर ङ्क्षहदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) का गठन किया गया है। अन्य स्थानों पर भी ऐसे उद्यमों का गठन किया गया है। उल्लेखनीय है कि यह भी अलग-अलग उद्यम जिनसे मिलाकर संयुक्त उद्यम एचयूआरएल का गठन किया गया है। इन सभी के संयंत्र कोरबा में भी संचालित है।

दो बार केन्द्रीय मंत्री कर चुके हैं दौरा
२०१५ में तत्कालीन केंद्रीय रसायन उर्वरक राज्यमंत्री हंसराज गंगाराम अहीर कोरबा आए थे। दर्री स्थित खाद कारखाने के निरीक्षण के बाद उन्होंने कहा था कि यह कारखाना करीब 35 वर्ष से बंद पड़ा है। उन्होंने कहा कि 12 लाख मीट्रिक टन क्षमता का प्लांट कोयले के बेस पर आधारित होगा। ओडिशा के तलचर में बंद उर्वरक प्लांट को 2019 तक प्रारंभ करने लक्ष्य रखा गया है। इसी अवधि में कोरबा के बंद प्लांट को भी पुन: शुरू करने की कोशिश की जाएगी। इसके पश्चात वर्ष २०१७ में खाद कारखाना का निरीक्षण करने केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री मनसुख एल मंडाविया दर्री पहुंचे थे। यहां पूरे महकमे की मौजूदगी में मंत्री ने स्थल का निरीक्षण किया था। अधिकारियों से जानकारी ली, कई पहलुओं पर मंत्री ने सवाल जवाब किए। निरीक्षण के दौरान राज्यमंत्री मंडाविया ने अधिकारियों से पूछा था कि अब तक यह कारखाना शुरू क्यों नहीं हो सका था? अधिकारियों ने जवाब दिया सन् 197३ के दौरान कोल बेस्ड खाद कारखाना शुरू करने के लिए मशीनें विदेशों से आयात की गई थी। तब इस पर 12 करोड़ रूपए खर्च हुए थे। उस समय हमारे पास उम्दा तकनीक नहीं थी। इन्हीं सब कारणों की वजह से कारखाना आज तक शुरू नहीं हो सका है। वर्तमान में खाद कारखाने की लागत बढक़र 1200 करोड़ रूपए हो चुकी है।

1973 में इंदिरा गांधी ने रखी थी नींव
दर्री में 14 अप्रैल, 1973 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने खाद कारखाने की नींव रखी थी। बाद में इस परियोजना से हाथ खींच लिए गए थे। यूपीए-1 सरकार ने कोरबा सहित देश के पांच स्थानों पर बंद कर दी गई खाद कारखाने की परियोजना के पुनरुद्धार को मंजूरी दी थी। कोरबा का मामला आगे नहीं बढ़ सका था। मामला अब तक लटका हुआ है। अब हाल ही में इसके पुनरूद्धार नहीं किए जाने की भी सूचना मिल गई है।

पहले चरण में भारत सरकार ने देश के पांच खाद कारखानों के पुनरुद्धार का निर्णय लिया है। उसमें कोरबा का नाम शामिल नहीं है, लेकिन अन्य पांचो से प्रोडक्शन शुरू होने के बाद आने वाले एक-दो सालों में किसी न किसी योजना और नई तकनीक से कोरबा के खाद कारखाने को भी हर हाल में प्रारंभ किया जाएगा।
डॉ. बंशीलाल महतो, सांसद, कोरबा

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