धान की सुरक्षा समितियों का दायित्व
धान खरीदी के बाद इसकी सुरक्षा का पूरा दायित्व समितियों के कंधों पर होता है। धान को बारिश से बचाने के लिए सहकारी विभाग सहमति से वह जितना चाहे त्रिपाल की खरीदी कर सकते हैं। बावजूद इसके पैसे बचाने के लिए स्टॉक की तुलना में वांछित मात्रा में त्रिपाल की खरीदी नहीं की जाती। जिसके कारण बेमौसम बरसात होते ही धान के भीगने जैसी परिस्थतियां निर्मित हो जाती हैं।
सोमवार तक ऐसी है धान खरीदी की स्थिति
सोमवार तक सहकारी विभाग ने २६ हजार ४४७ टन धान की खरीदी कर ली है। जिसके एवज में किसानों को खरीदी राशि 46 करोड़ 30 लाख एक हजार 296 रूपए बतौर समर्थन मूल्य तो बोनस की राशि के मौर पर सात करोड़ 93 लाख 43 हजार 40 रूपए का भुगतान किया गया है। अब तक कुल चार हजार 848 किसानो ने धान बेचा है।
75 प्रतिशत धान का उठाव पूरा
उपार्जन केन्द्रों से कुल ६६ राईस मिलर्स ने अब तक २० हजार ३७ टन धान का उठाव कर लिया है। यह कुल उपार्जित धान का ७५ फीसदी भाग है। हालांकि सोमवार को पूरे दिन बारिश होने के कारण केवल एक ही राइस मिलर ने १८ टन उठाव किया है। जबकि सोमवार को धान बेचने वाले किसानों की संख्या भी महज सात ही रही जिन्होंने ४७.५२ टन धान बेचा है।