हाउसिंग बोर्ड ने शहर से बाहर बरबसपुर में कॉलोनी बनाई जहां 2४ मकान नहीं बिक सके। वजह सिर्फ एक यही कि कॉलोनी शहर से काफी दूर है। इस कॉलोनी में शहरवासियों का रिस्पांस नहीं मिलने के बाद भी हाउसिंग बोर्ड ने बरबसपुर से भी और अधिक दूर उरगा में एक कॉलोनी तैयार कर दी। ये कॉलोनी हाउसिंग बोर्ड के गले का फांस बन गया है।
दरअसल इस कॉलोनी में 133 मकान अब तक नहीं बिक सके हैं। इसके पीछे की वजह भी शहर से लगभग 15 किमी दूर होना है। शहर से इतनी दूर ग्राम पंचायत क्षेत्र में कॉलोनी का निर्माण शहरवासियों को रास नहीं आया। लेकिन इसी के बाद हाउसिंग बोर्ड ने खरमोरा में कॉलोनी का निर्माण किया।
इस कॉलोनी के मकान एक साल के भीतर ही बिक गए। बरबसपुर और उरगा के कॉलोनी को देखने के बाद भी अधिकारियों ने सबक नहीं लिया। और शहर से दूर झगहरा में कॉलोनी बनाई जा रही है। इस कॉलोनी के लिए ही अब वही परेशानी शुरू हो गई। अलग-अलग श्रेणी के 153 मकानों के लिए विभाग को खरीददार नहीं मिल रहे हैं।
मुख्य मार्गो पर बेतरतीब ढंग से हो रही पार्किंग, दुर्घटना की आशंका
कोरबाञ्चपत्रिका. अक्षय तृतीय के अवसर पर शादी सीजन में शाम होते ही बाजार में रौनक होने गली है। शाम होते ही मेन रोड, पावर हाउस, घंटाघर, निहारिका कोसाबाड़ी सहित अन्य मुख्य मार्गो पर यातायात का दबाव बढऩे लगा है। वहीं कई लापरवाह चालक मुख्य मार्ग के सामने ही चार पहिया व दो पहिया वाहनों को बेतरतीब ढंग से खड़ी कर घंटो खरीदी में मशगुल रहते हैं। मार्ग संकरा हो रहा है।
मुख्य मार्ग पर जाम की स्थिति हो रही है। इससे अन्य वाहन चालकों को काफी असुविधा हो रही है। दुर्घटना की आशंका बनी हुई है। इसके बाद भी लापरवाह चालकों पर कार्रवाई नहीं हो रही है।
बरबसपुर हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनी में बाउंड्रीवाल नहीं, सीपेज ने बढ़ाई परेशानी
बरबसपुर हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनी में जिन लोगों ने मकान खरीदा था। वह भी अब पछता रहे हैं। दरअसल हाउसिंग बोर्ड ने कॉलोनी में बाउंड्रीवाल का निर्माण नहीं कराया।
कोरबा-चांपा मुख्य मार्ग से कॉलोनी के लगे होने की वजह से रहवासियों को अनहोनी का डर सताते रहता है। जो मकान खाली है वहां असमाजिक तत्व अकसर तोडफ़ोड़ करते हैं। मकानों में सीपेज से लेकर कई समस्या है लेकिन मरम्मत नहीं कराने से लोगों मेें हाउसिंग बोर्ड के खिलाफ आक्रोश दिखने लगा है।
उरगा में एचआईजी और एमआईजी श्रेणी के बड़े मकानों पर लगा ग्रहण
बरबसपुर में जहां एलआईजी श्रेणी के मकान नहीं बिके हैं। इसलिए विभाग को ज्यादा घाटा नहीं हुआ था। लेकिन उरगा में जो मकान नहीं बिके हैं वे एचआईजी और एमआईजी श्रेणी के हैं। एक-एक मकान की लागत 23 लाख से लेकर 31 लाख तक है। इसलिए हाउसिंग बोर्ड को सबसे अधिक नुकसान उरगा प्रोजेक्ट से ही हुआ है। इस कॉलोनी के लिए दूसरी बड़ी समस्या पेयजल को लेकर है। खदान से ये क्षेत्र लगा हुआ है इसलिए भूजल स्तर काफी कम है।
शहर में जमीन नहीं होने का बहाना, लेकिन दूसरे निर्माण के लिए मिल गई जमीनें
शहर में हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए जमीन नहीं मिलने का बहाना बताकर अधिकारी आउटर में आनन-फानन में कॉलोनी बना दी गई। लेकिन दूसरे प्रोजेक्ट के लिए शहर में आसानी से विभाग को जमीन मिल गई। जेएडी के आवास के लिए रामपुर, कंवेशन हॉल व कल्चर सेंटर के लिए शहर में बड़ी-बड़ी जमीन हाउसिंग बोर्ड को आसानी से उपलब्ध हो चुकी थी। जिसकी उपयोगिता नहीं है। खाली पड़ी कॉलोनी को अगर इन जगहों पर बनाया जाता। तो स्थिति कुछ और होती।
मार्च 2022 तक लागू थी स्कीम
भाड़ाक्रय योजना के तहत विक्रय मूल्य का पंजीयन राशि के रुप में लोगों को ५ फीसदी राशि जमा करनी होगी।इसके बाद तीन महीने के भीतर 30 फीसदी राशि आधिपत्य के पूर्व ली जाएगी। इसके बाद शेष 65 फीसदी राशि हितग्राहियों को के सुविधा के अनुसार 5, 10, 12 वर्ष के किश्तों में मंडल द्वारा निर्धारित 8.15 फीसदी के ब्याज पर भुगतान किया जा सकेगा। वहीं वन टाइम सेटलमेंट स्कीम के तहत सभी को अंतिम किश्तों के भुगतान के समय कुल देय ब्याज राशि में 15 फीसदी की छूट दी जाएगी। यह योजना मार्च 2022 तक लागू की गई थी।