कोरबा

33 गांव में 565 ग्रामीणों के दांत में तो वहीं 66 के हाथ-पांव टेढ़े-मेढ़े मिले

पानी में फ्लोराइड का स्तर बढ़ा, पीएचई के पास ठोस उपाय नहीं

कोरबाMar 26, 2019 / 11:43 am

Shiv Singh

33 गांव में 565 ग्रामीणों के दांत में तो वहीं 66 के हाथ-पांव टेढ़े-मेढ़े मिले

कोरबा. 33 गांव मेें 565 ग्रामीणों के दांत फ्लोरिसिस की वजह से खराब होने लगे हैं, वहीं ६६ के हाथ-पांव मेें इसका सीधा असर पडऩे लगा है। फ्लोरिसस सेल की एक साल की जांच में ये आंकड़े सामने आए हैं। पानी में फ्लोराइड का स्तर बढऩे लगा है। दूसरी तरफ पीएचई के पास किसी प्रकार का ठोस उपाय तक नहीं है।
2018 में जनवरी से लेकर दिसंबर तक जिला फ्लोरिसिस सेल द्वारा जिले के फ्लोराइड प्रभावित गांव में जाकर पानी के सेंपल के साथ वहां के ग्रामीणों का हेल्थ चेकअप किया गया। अब तक सेल द्वारा 33 गांव में कैंप लगाये गए, जहां 565 ग्रामीणों मेें शुरूआती लक्षण मिले। ५६५ ग्रामीणों के दांतों मेंं इसका असर देखा गया। वहीं 66 के हाथ-पांव मेें समस्या देखने को मिली। कई जगह ग्रामीणों के हाथ-पांव टेढ़े-मेढ़े मिले। जिन मरीजों के दांतों में समस्या है उनका इलाज स्थानीय स्तर पर चल रहा है। सेल के अनुसार कई मरीजों में सुधार होने लगा है लेकिन व्यापक स्तर पर अब तक सुधार के लिए प्रभावित लोगों को इंतजार करना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि पीएचई के आयरन रिमूवल प्लांट की तरह फ्लोराइड रिमूवल प्लांट की स्थिति भी कबाड़ जैसी हो चुकी है। लाखों की मशीनों का प्रस्ताव बनाकर मशीनें लगा दी गई। उस गांव को फ्लोराइड प्रभावित गांव की सूची से बाहर कर दिया गया, लेकिन मशीनों ने किस हद तक ग्रामीणों को फायदा मिल रहा है इसकी तस्दीक कभी नहीं की गई। बच्चे व युवा में फ्लोराइड की वजह से फ्लोरिसस बीमारी बढ़ती जा रही है। बुजुर्गों पर भी विपरीत असर पड़ रहा है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग इसके लिए व्यवस्था क्या कर रहा है? ३९ में से ६ मशीनें ऐसी है कि किसी तरह काम कर रही है। ३३ कबाड़ हो चुकी है। ९० फीसदी मशीनों के खराब होने के पीछे जिम्मेदार कौन है इसका जवाब अफसरों के पास नहीं है। वर्तमान के अफसर पहले के अधिकारियों पर दोष मढ़ रहे हैं।

पिछले बार सर्वे करा लिया गया, लेकिन रिपोर्ट पर काम नहीं
पीएचई ने डेढ़ साल पहले नागपुर की नीरी से जिले के सभी ब्लॉक के ऐसे प्रभावित गांव में पानी की सेंपलिंग की। लगभग १६९ गांव के ३२० बसाहट तक टीम सेंपल के लिए पहुंची। इनमें ६२० हैंडपंपों में से ५११ हैंडपंप में फ्लोराइड की मात्रा मानक स्तर से अधिक पाई गई थी। इन सभी बसाहट तक फ्लोराइड ने अपने पैर पसार चुका है। लाख कोशिश और दावों के बीच भी फ्लोराइड का दायरा बढ़ रहा है। सर्वे तो करा लिया गया लेकिन उस रिपोर्ट के हिसाब से किसी तरह काम नहीं किया गया।

अब तक ३३ गांव में कैंप लगाया गया जहां ५६५ ग्रामीणों के मरीजों के दांतों में तो वहीं ६६ के हाथ-पांव में इसके लक्षण मिले हैं। इनका उपचार कराया जा रहा है।
डॉ नरेन्द्र जायसवाल, सलाहकार, जिला फ्लोरिसिस सेल

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