इसका दूसरा पहलू यह भी है कि बिना किसी गलती या फिर जब तक कि समूहों द्वारा अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया जाता तब तक इन्हें बदला नहीं जा सकता। इसलिए इन समूहों को एक झटके में बदलना आसान नहीं होगा। आंगनबाड़ी केन्द्रों में जिले में कार्यरत ज्यादातर स्वयं सहायता समूह भाजपा नेताओं के करीबी लोगो के हैं। अब जबकि सरकार बदल गई है, तब इन समूहों को भी बदलने की तैयारी शुरू हो चुकी है। इसके लिए विभागीय और राजनैतिक प्रयास भी शुरू हो चुके हैं।
91 सेक्टर, सभी में अलग-अलग समूह कार्यरत
महिला बाल विकास विभाग के जिले में 91 सेक्टर हैं। सभी सेक्टर में अलग-अलग समूहों कार्य कर रहे हैं। जबकि पर्दे के पीछे से कई समूहों के कर्ता-धर्ता एक ही व्यक्ति हैं। समूहों के काम को लेकर सर्वाधिक शिकायतें पाली क्षेत्र से बनी रहती है। जहां शिकायत मिलने पर कुछ समूहों से काम भी छीना गया था। बावजूद इसके गड़बडिय़ां बनी रहती हैं।
लाखों में बनाते हैं बिल
समूहों को सेक्टरवार रेडी टू ईट प्रदाय करने के लिए बिल का भुगतान किया जाता है। प्रत्येक समूह द्वारा प्रति सेक्टर रेडी टू ईट का बिल लाखों में तैयार किया जाता है। हालांकि पिछले 6 से 7 महीनों तक समूहों का पेमेंट लटका हुआ था। जिसे हाल ही में जारी किया गया है। हर समूह का बिल लाखों में होता है। गर्भवती महिलाओं को केन्द्रों में गरम भोजन में शामिल रोटी देने का प्रावधान राज्य सरकार ने किया था। इसके लिए आटा भी समूहों द्वारा प्रदायन किया जाता है।
-समूहों को बदलने के निर्देश मिले हैं। जिला पंचायत के बैठक के साथ ही अन्य लोग भी इस विषय में सामने आ रहे हैं। लेकिन शासन द्वारा स्थापित नियमों के अनुसार ही समूहों को बदला जा सकता है। आगामी अपै्रल माह में अनुबंध की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
-राजेन्द्र कश्यप, कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग