scriptजल्दबाजी में भागकर शादी करना ठीक नहीं, पहले आत्मनिर्भर होना जरूरी | It is not right to run away and get married in a hurry | Patrika News

जल्दबाजी में भागकर शादी करना ठीक नहीं, पहले आत्मनिर्भर होना जरूरी

locationकोरबाPublished: Jun 03, 2023 01:13:11 pm

Submitted by:

Rajesh Kumar kumar

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायर ने कहा है कि युवा पीढ़ी में धौर्य और सहनशीलता की कमी है। इससे पति- पत्नी के रिश्तों में दरार पड़ रही है। सबसे गंभीर और चिंताजनक स्थित लव मैरेज की है। शादी से पहले युवक युवती के बीच तीन से पांच साल तक चलने वाला प्रेम संबंध सात माह भी नहीं चल रहा है। रिश्तों में टकराव उत्पन्न हो रही है।

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डॉ. किरणमयी नायक ने युवा पीढ़ी को अगाह करते हुए कहा कि जल्दबाजी में भागकर शादी करने से बचे। भागकर शादी करना ठीक नहीं है। डॉ. नायक कोरबा के कलेक्ट्रेड सभाकक्ष में मीडिया से चर्चा कर रही थीं। उन्होंने बताया है कि महिला आयोग तक लव मैरेज के बाद रिश्ते में आ रही दरार से संबंधित शिकायत अधिक पहुंच रही है। आयोग के समक्ष 65 से 70 फीसदी ऐसे मामले आ रहे हैं, जो लव मैरेज से जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि सामान्यत: यह देखा है कि शादी से पहले युवक- युवती के बीच तीन साल से लेकर सात वर्ष तक प्रेम संबंध चलता है। फिर विवार कर लेते हैं। लेकिन ऐसे मामले सामाज में टिक नहीं पा रहे हैं। शादी के तीन से सात महीने में दरार पड़ जा रही है। वे लोग एक दूसरे से अलग होने के लिए पुलिस या कोर्ट तक जा रहे हैं। किरणमयी ने कहा कि भागकर लव मैरेज करने के बजाए युवक युवती को पहले अपने पांव पर खड़ा होना चाहिए। लड़कियाें को अपनी पढ़ाई पूरी करनी चाहिए।

 

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मोबाइल के इस्तेमाल से रिश्तों में आ रही दरार से संबंधित एक सवाल के जवाब में नायर ने कहा कि मोबाइल आज सभी की जरुरत बना गया है। इसके बिना लोगाें को काम नहीं चल रहा है। आदमी जब सोकर उठता है, तब मोबाइल देखता है। सोने से पहले मोबाइल देखता है। रिश्ते जब सामान्य होते हैं, तो हॉय हैलो… आदि करता है। मोबाइल पर निजी बाते हो जाती हैं। जब संबंध खराब हो जाते हैं तो मोबाइल पर होने वाली सभी बाते शिकायत के जरिए महिला आयोग को सौंप दी जाती हैं। शिकायतकर्ता चाहती है कि उनकी गंदगी को हम देखें और समाधान खोजे। मोबाइल के बाद लोगों को होश नहीं रहता कि मोबाइल में क्या रखना चाहिए? क्या नहीं? क्या देखना चाहिए? क्या नहीं? यह बड़ी विडंबना की बात है कि आजकल मोबाइल का उपयोग नासमझा और समझ दोनों वर्ग इस्तेमाल कर रहा है। एक बार मोबाइल में गंदजी आ जा जाती है कि तो वही बार बार दोहता है। लोगों को दिमाग इस तरह सेट कर देता है कि वही गंदगी बार बार देखते हैं। यह पूछे जाने पर की क्या इस दिशा में आयोग सरकार को कुछ सुझाव दे सकता है। इसपर अध्यक्ष ने कहा कि इसे आयोग ने सोचा नहीं है। यह केन्द्रीयस्तर का मामला है। इसपर काफी रिसर्च की जरुरत है। चर्चा के दौरान महिला आयोग की सदस्य अर्चना उपाध्याय, महिला एवं बाल विकास अधिकारी प्रीत खोखर चखियार आदि उपस्थित थे।

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