मोबाइल के इस्तेमाल से रिश्तों में आ रही दरार से संबंधित एक सवाल के जवाब में नायर ने कहा कि मोबाइल आज सभी की जरुरत बना गया है। इसके बिना लोगाें को काम नहीं चल रहा है। आदमी जब सोकर उठता है, तब मोबाइल देखता है। सोने से पहले मोबाइल देखता है। रिश्ते जब सामान्य होते हैं, तो हॉय हैलो… आदि करता है। मोबाइल पर निजी बाते हो जाती हैं। जब संबंध खराब हो जाते हैं तो मोबाइल पर होने वाली सभी बाते शिकायत के जरिए महिला आयोग को सौंप दी जाती हैं। शिकायतकर्ता चाहती है कि उनकी गंदगी को हम देखें और समाधान खोजे। मोबाइल के बाद लोगों को होश नहीं रहता कि मोबाइल में क्या रखना चाहिए? क्या नहीं? क्या देखना चाहिए? क्या नहीं? यह बड़ी विडंबना की बात है कि आजकल मोबाइल का उपयोग नासमझा और समझ दोनों वर्ग इस्तेमाल कर रहा है। एक बार मोबाइल में गंदजी आ जा जाती है कि तो वही बार बार दोहता है। लोगों को दिमाग इस तरह सेट कर देता है कि वही गंदगी बार बार देखते हैं। यह पूछे जाने पर की क्या इस दिशा में आयोग सरकार को कुछ सुझाव दे सकता है। इसपर अध्यक्ष ने कहा कि इसे आयोग ने सोचा नहीं है। यह केन्द्रीयस्तर का मामला है। इसपर काफी रिसर्च की जरुरत है। चर्चा के दौरान महिला आयोग की सदस्य अर्चना उपाध्याय, महिला एवं बाल विकास अधिकारी प्रीत खोखर चखियार आदि उपस्थित थे।