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पर्याप्त सबूत के आधार पर कलेक्टर रानू साहू ने डॉ.माखीजा की डीएमएफ से नियुक्ति को समाप्त कर दिया। हालांकि टीके की कालाबाजारी का रैकेट अब भी पकड़ से दूर है। डॉ माखीजा बताने से इंकार कर चुके हैं कि टीके उन तक कैसे पहुंचते थे। कालाबाजारी के मामले के तहत डॉ. माखीजा पर केस दर्ज कर पुलिसिया जांच शुरू करने की तैयारी भी की जा रही है।सवा दो लाख रुपए थी सैलरी, दो साल में मिला करीब 25 लाख का पैकेज
डॉ माखीजा की हर महीने की सैलरी करीब सवा दो लाख थी। दो साल में करीब 25 लाख रुपए डीएमएफ के जरिए डॉ माखीजा को दिए गए, लेकिन मरीजों के प्रति असंवेदनशील होने की वजह से लोग परेशान थे। सरकारी अस्पताल में नहीं बैठते थे। पीएचसी के प्रभारी ने कई बार इनकी शिकायत अधिकारियों को कर चुके थे। अब डॉ माखीजा को हटाने के बाद नए एमडी डॉक्टर की पदस्थापना की तैयारी की जा रही है।
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टीके की कालाबाजारी का रैकेट अब तक पकड़ से दूर
टीके की कालाबाजारी का रैकेट अब भी पकड़ से दूर है। डॉ माखीजा बताने से इंकार कर चुके हैं कि टीके उन तक कैसे पहुंचते थे। प्रशासन के पास कोई सबूत नहीं है कि जिससे वह जांच शुरू कर सके। इसलिए जरूरी है कि टीके की कालाबाजारी के मामले के तहत डॉ माखीजा पर केस दर्ज कर पुलिसिया जांच शुरू हो। साइबर सेल से बीते दो महीने के भीतर जिन टीका प्रभारी या उन अधिकारियों से चर्चा की गई होगी जिनपर टीके की जिम्मेदारी थी। वहां से जांच शुरू की जाए। तब जाकर पूरा रैकेट पकड़ा जाएगा।