कोरबा. सोसाइटी से प्लास्टिक चावल के वितरण के संदेह पर हितग्राही की शिकायत पर चावल की सैंपलिंग मंगलवार को ली गई। मामला पुरानी बस्ती के वार्ड क्रमांक चार का है।
अब तक आधा दर्जन बार सैंपलिंग हो चुकी है। लेकिन पिछली सैंपलिंग में किसी तरह की प्लास्टिक की बातें सामने नहीं आई है। लेकिन लोगों के बीच बात उठ रही है कि आखिर चावल प्लास्टिक की गेंद की तरह क्यों उछल रही है।
पुरानी बस्ती वार्ड क्रमांक चार में आदिले चौक के पास रहने वाले मुकुंद आदिले सुबह कोतवाली थाने पहुंच गए। यहां उन्होनेेंं बताया कि वार्ड चार के सोसाइटी से मिले चावल को पकाया गया तो प्लास्टिक की तरह दिख रहा है।
अगर इसकी गेंद बनाकर उछालकर जमीन पर फेंका जाएं तो एक भी चावल के दाने बाहर नहीं आते। इसके आलावा जब चावल के दाने को तोड़ा जाएं तो वह टूटने की बजाएं चूरे की तरह होती जा रही है।
इसकी शिकायत मिलने पर खाद्य औषधि प्रशासन विभाग की टीम भी सुबह पहुंची। टीम ने हितग्राही से मिलने के बाद उस दुकान से चावल की सैंपलिंग भी ली। अब इसे रायपुर स्थित लैब भेजा जाएगा।
गौरतलब है के कोरबा में सबसे पहले विधिक विभाग के एक बड़े अफसर ने अपने घर की चावल की सैपलिंग कराई गई थी। इसके बाद तीन से चार दुकानों में अब तक यह प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। लेकिन अब तक लैब की रिपोर्ट में चावल के प्लास्टिक होने की बात सामने नहीं आई है।
माटी मंच ने कहा, उच्च स्तरीय जांच कराई जाएं– प्लास्टिक चावल के मसले में माटी मंच ने मंगलवार की शाम प्रेसवार्ता लेकर इस मसले में उच्च स्तरीय जांच कराने मांग की।
माटी मंच के संयोजक
अमरनाथ अग्रवाल ने कहा कि इस तरह चावल का प्लास्टिक की तरह उछलना और चिपक जाना यह आम लोगों के सेहत से जुड़ा बड़ा मुदद है।
आखिर ऐसा क्या है इस चावल मेंं। इसकी जांच करानी चाहिए। इसके आलावा राशन दुकानों में बिना आवंटन के मिटट्ी तेल वितरण करने पर भी प्रशासन से जांच की मांग की गई।