script#बिना प्लान का विकास बढ़ा रहा शहर की दुश्वारियां | Korba: The development of the city without plan raising difficulties | Patrika News

#बिना प्लान का विकास बढ़ा रहा शहर की दुश्वारियां

locationकोरबाPublished: Jan 15, 2017 12:11:00 pm

मास्टर प्लान के अनुसार विकास कार्य होने से शहर की प्रगति तेजी से होती है
और शिक्षा,स्वास्थ्य से लेकर व्यवसाय तक के लिए फलने-फूलने का पूरा मौका
मिलता है।

The development of the city without plan raising d

The development of the city without plan raising difficulties

कोरबा. मास्टर प्लान के अनुसार विकास कार्य होने से शहर की प्रगति तेजी से होती है और शिक्षा,स्वास्थ्य से लेकर व्यवसाय तक के लिए फलने-फूलने का पूरा मौका मिलता है।

लंबी प्लानिंग होने के कारण आने वाली पीढ़ी के लिए भी विकास के रास्ते और खुलते जाते हैं लेकिन ऊर्जा नगरी में विकास के कार्यों की गति और प्लानिंग स्तर पर नगर नियोजन के मानकों के अनुसार जमीनी स्तर पर तालमेल नहीं दिखायी पड़ता है।

तभी तो पूर्व में प्रस्तावित जमीन में पहले कुछ प्रस्तावित था और वर्तमान में कुछ और बनाया जा रहा है। शहर की आवश्यकता के अनुसार योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए प्रस्तावित जगहों पर

इतर काम किए जा रहे हैं या फिर पहले से तय प्रस्तावित काम का ड्राइंग डिजाइन ही बदल दिया गया है। इससे सबसे बड़ी समस्या ये आ रही है कि जिस जगह रहवासी योजनाएं प्रस्तावित हैं,

वहां व्यवसायिक गतिविधियां होनी लगी है। इतना ही नहीं जहां उद्योग लगने हैं, वहां पर शिक्षा हब तैयार हो रहा है। टीपीनगर जहां शुरू से प्रस्तावित है वहां की जमीन हाउसिंग बोर्ड को कॉलोनी देने के लिए तैयार किया जा रहा है।

सबसे बड़ी समस्या टीपीनगर शिफ्ट करना

शहर की सबसे बड़ी समस्या टीपीनगर को शिफ्ट करने की है। इसके लिए पिछले 10 साल से निगम मंथन कर रहा है पर अब तक सफल नहीं हो सका है।

दरअसल टीपीनगर इन दिनों शहर का सबसे व्यस्तम और डस्ट व कबाड़ वाला इलाका हो चुका है। इसके अलावा जगह कम होनेे के कारण यह पूरी तरह से अव्यवस्थित हो चुका है।

इसे पूर्व में झगहरा के पास शिफ्ट करने की योजना थी। फिर इसे बरबसपुर के पास तैयार करना था पर बरसपुर में अन्य योजनाएं प्रस्तावित कर दी गई।

11 गांव शामिल हो जाएंगे शहर में
मास्टर प्लान 2031 के मूर्तरूप नहीं लेने के कारण शहर से लगे लगभग 11 गांव को भुगतना पड़ रहा है। मास्टर प्लान में इन 11 गांव को शहर के नक्शे में जोड़ दिया जाएगा।

उसके बाद इन गांव को नगर निगम की सुविधा मिलने लगेगी। निगम में भी वार्ड की संख्या बढ़ जाएगी। अभी इन गांव में मूलभूत सुविधाओं का टोटा है।

मुख्य बाजार व फुटकर केन्द्र नहीं
शहर में मुख्य बाजार व फुटकर केन्द्र सहित सिटी सेंटर की दरकार है। शहर का दायरा बढऩे के साथ व्यापारिक गतिविधियां भी बढऩे लगी है। शहर में बड़ी संख्या में थोक व्यापारी है।

इनकी गतिविधियां दर्री रोड से लेकर सीतामणी तक है। यहां कई प्रकार की परेशानी होती है। इसके अलावा एक बड़े सिटी सेंटर की जरूरत है।

बगैर प्लान चल रही करोड़ों की योजनाएं

वर्तमान में शहर में बगैर प्लान के करोड़ों रूपए की योजनाओं पर काम चल रहा है। सिर्फ एक चोरभटठ्ी में बने एजुकेशन हब का काम ही एक सही जगह पर हुआ है।

इसके अलावा छुरी में नया औद्योगिक क्षेत्र बनना है पर यहां पर इस बीच नवोदय बना दिया गया। इससे लगी जमीन स्याहीमुड़ी में भी एजुकेशन हब बनना है।

नहीं मिल रही जमीन, लघु उद्योगों की स्थापना लटक गई अधर में
शहर में लघु उद्योगों की संख्या नहीं बढ़ पा रही है। इसका कारण जमीन की कमी को बताया जा रहा है। जमीन का आवंटन नहीं हो पा रहा है। गोपालपुर की प्रस्तावित जमीन भी अब खटाई में पड़ती नजर आ रही है।

शुरू में रजगामार रोड स्थित औद्योगिक क्षेत्र में उद्योगों को जमीन का आवंटन किया गया। उस समय यह क्षेत्र सुनसान था। आबादी नहीं बसती थी। समय के साथ ही क्षेत्र में शासकीय कार्यालय खुलते गए।

इसके साथ आबादी बढऩे लगी। अभी स्थिति ऐसी है कि आसपास नए उद्योगों की स्थापना नहीं की जा सकती। इसे देखते हुए विभाग द्वारा गोपलपुर में 100 एकड़ जमीन चिंहित की गई।

आवंटन के लिए कागजी कार्रवाई पूरी की जा रही थी कि इंडियल ऑयल का वितरण डिपो आ गया। पहले यहां पर आईबी का संचालन किया जा रहा था।

इसके बाद 50 एकड़ जमीन को आवंटित करने के लिए आवेदन लगाया गया। शासन से एनओसी लेने की प्रक्रिया शुरू की गई। यहां से अब तक अनुमति नहीं मिल पाई है।

बताया जा रहा है कि नया औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने के लिए जो मापदंड तय किए गए है उसके अनुसार जमीन कम पड़ेगी। इन सबको देखते हुए नए उद्योगों के लिए दूसरी जमीन की तलाश की जा रही है।

इधर उद्यमियों का कहना है कि शहर व उसके आसपास बड़े उद्योगों की संख्या बढ़ रही है। इनको जमीन का अवंटन भी आसानी से हो जाता है। लघु उद्योगों के मामले में गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है।
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