इससे मजदूर नाराज हो गए। उन्होंने काम बंद कर दिया। मृतक के परिवार को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की मांग करने लगे। इससे विवाद बढ़ने लगा। सूचना पर भू- विस्थापितों के साथ साथ छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के समर्थक भी पहुंच गए।
काम ठप होने पर एसईसीएल के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। मजदूरों ने मृतक के परिवार को आर्थिक सहायता राशि और परिवार के एक सदस्य को कंपनी में रोजगार उपलब्ध कराने की मांग की। मजदूर 50 लाख रुपए आर्थिक सहायता की मांग कर रहे थे। जबकि ठेका कंपनी यह राशि देने के लिए तैयार नहीं हुई। इसे लेकर मजदूरों ने आक्रोश जताया। काफी कोशिश के बाद ठेका कंपनी की ओर से मृतक के परिवार को पांच लाख रुपए आर्थिक सहायता राशि देने की घोषणा की गई। इसके बाद मामला शांत हुआ। मजदूर काम पर लौट गए।
परिवार ने मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने का लगाया आरोप
इधर, परिवार ने ठेका कंपनी के प्रबंधन पर मजदूरों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। परिवार ने कहा कि शनिवार की रात बलराम ड्यूटी नहीं जा रहा था। लेकिन प्रबंधन की ओर से दबाव डालकर काम पर बुलाया गया। उसे चेतावनी दी गई कि काम पर नहीं आने से ड्यूटी बंद कर दी जाएगी। बलराम की मौत के कारण की जांच पुलिस मर्ग कायम कर रही है।